मोक्ष और आध्यात्म की यात्रा है चार धाम : चार धाम यात्रा दुनिया की सबसे पवित्र तीर्थ यात्राओं में से एक है। इस यात्रा में शामिल चार मंदिर यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं। इसे छोटा चार धाम यात्रा के नाम से भी जाना जाता है।देवभूमि में चार धाम यात्रा के सभी पवित्र स्थल अलग-अलग देवी देवताओं को समर्पित हैं। केदारनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं और यह भगवान शिव को समर्पित है। बद्रीनाथ धाम भगवान बद्री या विष्णु को समर्पित है। गंगोत्री धाम माता गंगा और यमुनोत्री माता यमुना को समर्पित हैं।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी पूरी प्रशासनिक विभाग यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाने में लगे हुए हैं जिसकी मॉनिटरिंग लगातार मुख्यमंत्री खुद कर रहे हैं।
ये पवित्र स्थान उत्तराखंड में हिमालय की बुलंद चोटियों के बीच स्थापित हैं। हिंदू धर्म में, मोक्ष प्राप्त करना ही जीवन का गंतव्य माना गया गया है। और ऐसा मानते हैं कि चार धाम यात्रा आपको इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक कदम और करीब ले जाती है। चारधाम यात्रा का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक धार्मिक महत्व है। यह माना जाता रहा है कि प्रत्येक हिंदू को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस तीर्थ यात्रा पर जाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि चारधाम यात्रा जीवन भर के पापों को धो कर मोक्ष के द्वार खोलती है। और ऐसा कहा जाता है कि जब कोई तीर्थयात्री चारधाम यात्रा समाप्त करता है, तो वह मन की पूर्ण शांति प्राप्त करता है।
उत्तराखंड में हर साल लाखों की संख्या में दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं।ये पवित्र स्थल उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित हैं। परंपरागत रूप से, यात्रा पश्चिम से पूर्व की ओर की जाती है। इस प्रकार, यह यमुनोत्री से शुरू होती है, फिर गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ में समाप्त होती है। यहां आवश्यक जानकारी है जो यात्रा की योजना बनाते समय आपकी मदद करेगी।
यात्रा आपकी सुविधानुसार दिल्ली, हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून से शुरू हो सकती है
चार धाम यात्रा का बायोमेट्रिक पंजीकरण अनिवार्य है। आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, या पासपोर्ट जैसे आवश्यक दस्तावेज यात्रा में अपने साथ ले जाएं। स्विस कॉटेज में शिविर सुविधाएं तीर्थ के पास उपलब्ध हैं और मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित हैं। डीलक्स और बजट आवास भी उपलब्ध हैं। श्रद्धालुओं के लिए हेलीकॉप्टर द्वारा चार धाम यात्रा भी उपलब्ध है। बुकिंग की ऑफलाइन और ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध है। जो लोग चलने में असमर्थ हैं, उनके लिए पालकी, घोड़ा और पिट्ठू भी उपलब्ध हैं। यात्रा के दौरान गर्म जैकेट, दस्ताने, स्वेटर, ऊनी मोजे और रेनकोट ले जाना ना भूलें। यात्रा के दौरान अच्छी पकड़ वाले आरामदायक जूते ही पहने।
चार धाम यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर तक है। इन महीनों में मौसम सुहाना होता है जो की यात्रा को आरामदायक और सुखद बनता है। गर्मियों के दौरान मौसम अच्छा रहता है। मानसून के मौसम में यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि क्षेत्र में भारी बारिश होती है, जिसके कारण कुछ क्षेत्रों में भूस्खलन और बाढ़ की आशंका बानी रहती है। सर्दियों के मौसम में, इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है जिसके कारण मंदिर लगभग छह महीने तक बंद रहते हैं। सर्दियों में केदारनाथ की मूर्तियां ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में एवं बद्रीनाथ की मूर्तियां जोशीमठ स्थानांतरित हो जाती हैं । भक्त वहां जा कर दर्शन कर सकते हैं।
यदि आप इस पवित्र तीर्थ यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो चारधाम यात्रा पैकेज बुक करने के लिए पूरी जानकारी लेकर सही व्यक्ति से सम्पर्क करें रजिस्ट्रेशन और होटल बुकिंग के साथ साथ मौसम पर भी नज़र ज़रूर रखें। यात्रा से संबंधित और जानकारी के लिए जुड़े रहे खोजी नारद की रोचक खबरों के साथ