‘दलित’ होगा BJP का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष! : बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को मोदी सरकार (modi government) के तीसरे कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री हुए सात महीने बीत चुके हैं। इसके बावजूद पिछले सात महीने या यूं कहे कि 210 दिन से ज्य़ादा समय बीतने के बाद भी भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं मिल पाया है। बीजेपी में अध्यक्ष पद के लिए योग्य कैंडिडेट की तलाश जारी है। इसी बीच खबर आई है कि BJP का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष दलित (Dalit) हो सकता है। इसके लिए संगठन ने तलाश शुरू कर दी है। एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसे दलित नेता जिनकी संभावित उम्मीदवारों में नाम आगे चल रहा है, उनमें केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, बीजेपी महासचिव दुष्यंत गौतम और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बेबी रानी मौर्य के नाम चर्चा में हैं।
अर्जुन राम मेघवाल की एजुकेशन और मोदी सरकार में मिली उनकी अहम जिम्मेदारियों के चलते ऐसा लगता है कि इस रेस में वो सबसे आगे हो सकते हैं। बेबी रानी मौर्या को भी जिस तरह कुछ साल पहले उत्तराखंड के राज्यपाल पद से त्यागपत्र दिलवाकर मेन स्ट्रीम राजनीति में वापसी करवाई गई थी उससे उनके नाम के महत्व को आंका जा सकता है। हालांकि बीजेपी में नियुक्तियां इतनी गोपनीय रखीं जा रही हैं कि इस संबंध में सिर्फ अटकलें ही लगाईं जा सकती हैं। लेकिन पार्टी के सूत्रों से जानकारी मिली है कि भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष दलित हो सकता है।
पिछले 2 हफ्ते से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारतीय जनता पार्टी में किसी दलित को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वाजपेयी सरकार के दौरान दक्षिण भारत से तीन शख्स राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। ये हैं: बंगारू लक्ष्मण, जना कृष्णामूर्ति और वेंकैया नायडू। PM मोदी के दो कार्यकाल में राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर और पश्चिम भारत के रहे। फिलहाल भाजपा के दक्षिण के दिग्गज नेताओं में प्रहलाद जोशी, एल मुरुगन, जी. किशन रेड्डी, के. अन्नामलाई, के. ईश्वरप्पा, निर्मला सीतारमण शामिल हैं। हो सकता है कि पार्टी इन्हीं में से किसी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए। खबरे यह भी है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, जो की दलित समाज से आते हैं, उनकी काट को निकालने के लिए भाजपा अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष दक्षिण भारत से घोषित कर सकती है।
पार्टी ने नया अध्यक्ष चुनने के लिए दिसंबर महीना तय किया था। हालांकि राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह के बाबासाहेब अंडेकर पर दिए बयान को लेकर बवाल हो गया। कांग्रेस और समूचे विपक्ष ने इस मुद्दे को अच्छे से भुनाया है। अब इससे बाहर निकलने के लिए बीजेपी दलित वर्सेज दलित कार्ड फेंक सकती है।
भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में तो दलित नेता अध्यक्ष पद तक पहुंच चुका है। हालांकि आरएसएस के इतिहास में कभी कोई दलित नेता संगटन के सबसे बड़े पद तक नहीं पहुंचा है। इस बात के लिए अक्सर आरएसएस पर विपक्ष तंज भी कसता रहा है। यही कारण है कि कोई दलित नेता बीजेपी का अध्यक्ष बनता है दो निश्चित रूप से संघ उसका समर्थन करेगा।