हरियाणा में आरक्षित सीटों पर भाजपा-कांग्रेस का प्रदर्शन
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने 17 आरक्षित सीटों में से 9 सीटें जीतकर अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाया है। पिछले चुनाव (2019) में कांग्रेस के पास केवल 7 सीटें थीं। इस बार जिन सुरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की, उनमें गुहला, झज्जर, कलानौर, कलांवाली, मुलाना, रतिया, साढौरा, शाहबाद और उकलाना शामिल हैं।
भाजपा ने भी अपनी स्थिति मजबूत की है, उसने 8 सुरक्षित सीटों पर विजय प्राप्त की है, जबकि 2019 में उसके पास 5 सीटें थीं। भाजपा की जीत वाली सुरक्षित सीटों में बावल, बवानी खेड़ा, होडल, इसराना, खरखौदा, नरवाना, नीलोखेड़ी और पटौदी शामिल हैं।
जननायक जनता पार्टी (जजपा) का पतन
दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) को इस चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। पिछली बार जजपा के पास चार सीटें थीं, लेकिन इस बार वह एक भी सुरक्षित सीट नहीं जीत सकी। इससे साफ है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रतिस्पर्धा के चलते जजपा का प्रभाव कम हो गया है।
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की वापसी
जम्मू-कश्मीर में, भाजपा ने 16 आरक्षित सीटों में से 7 पर जीत हासिल की है। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) ने 6 सीटें जीती हैं। यह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद नेकां की सत्ता में वापसी का संकेत है।
आरक्षित सीटों पर भाजपा का दबदबा
जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जाति (एससी) के लिए सुरक्षित सभी 7 सीटों पर भाजपा का एकतरफा दबदबा रहा है। ये सीटें हैं रामनगर, कठुआ, रामगढ़, बिश्नाह, सुचेतगढ़, मढ़ और अखनूर। इससे पहले 2014 के चुनाव में भी ये सभी सीटें भाजपा के खाते में गई थीं।
अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 9 सीटों में से नेकां ने 6 पर जीत हासिल की। ये सीटें गुरेज, कंगन, कोकरनाग, गुलाबगढ़, मेंढर और बुद्धल हैं।
चुनावी समयसीमा
हरियाणा में 90 सीटों पर मतदान 5 अक्टूबर को हुआ, जबकि जम्मू-कश्मीर में चुनाव तीन चरणों में संपन्न हुए: 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को।
निष्कर्ष
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणामों ने दिखाया है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, जबकि जजपा की स्थिति कमजोर हुई है। जम्मू-कश्मीर में नेकां की वापसी और भाजपा का मजबूत प्रदर्शन, आगामी चुनावों में राजनीतिक रणनीतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।