चाकुओं से बनी 27 फुट ऊंची मूर्ति: आपने दुनिया में कई तरह की मूर्तियां देखी होंगी. किसी ने बड़ी मूर्ति देखी होंगी तो किसी ने छोटी मूर्ति. लेकिन क्या आपने कभी चाकुओं से बनी मूर्ति देखी. हर मूर्तियों के पीछे की कहानी अलग-अलग होती है. कभी किसी की याद में तो कभी किसी जीत का प्रतीक या फिर कला का बेजोड़ नमूना. लेकिन इंग्लैंड में बनी चांकुओं की यह मूर्ति एकदम अलग है. इस मूर्ति का नाम नाइफ एंजेल है. इसकी खास बता यह है कि इसे अपराध में इस्तेमाल होने वाले असली चाकुओं से बनाया गया है जिसके हर ब्लेड के पीछे एक सच्ची, डरावनी और दुखभरी कहानी छिपी है.
चाकू जमा करने में लगे 10 साल
इस मूर्ति को ब्रिटिश कलाकार एल्फी ब्रैडले ने बनाया है. नाइफ एंजेल के नाम से मशहूर इस मूर्ति को नेशनल मॉन्यूमेंट अगेंस्ट वॉयलेंस एंड एग्रेशन भी कहा जाता है. यह मूर्ति 27 फुट ऊंची है. बताया जाता है कि इसे बनाने में कुल 1 लाख चाकुओं और ब्लेड का इस्तेमाल हुआ है. यह मूर्ति हिंसाओं के खिलाफ एक शक्तिशाली प्रतीक है और यह ऐसे अपराधों में शिकार लोगों पर हुए प्रभावों की याद दिलाती है.खास बात ये है कि ब्रैडले को इन चाकुओं को जमा करने में 10 साल का समय लगा था. यह मूर्ति 2018 में बन कर तैयार हुई थी. इस मूर्ति के चाकुओं की खास बात ये है कि इनमें से कई चाकू उन नाइफ बैंक के हैं जिसमें सजा माफी के बाद लोग बिना अपनी पहचान जाहिर किए चाकू जमा कर जाते थे.
मूर्ति के पीछे छिपी है एक दर्दनाक कहानी
इस मूर्ति के पीछे कई दर्दनाक कहानी छिपी हुई है. इसे बनाने के मकसद यूके में लोगों को चाकू के अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाना है. इसके साथ ही इसका मकसद युवाओं को यह अहसास दिलाने की कोशिश करना है कि हिंसा का बर्ताव लोगों और समुदायों पर कितना बुरा असर डाल सकता है. मूर्ति को बनाने में करीब 5 करोड़ 88 लाख रुपये का खर्चा आया था.
एक जगह नहीं स्थापित की गई मूर्ति
यह मूर्ति बनने के बाज से एक ही जगह स्थापित नहीं की गई है. इसे ब्रिटेन के कई हिस्सों में नुमाइश के तौर पर रखा गया. फिलहाल ये ऑस्टवेस्टरी के ब्रिटिश आयरनवर्क सेंटर में रखी गई है. इससे पहले वह स्कॉटलैंड के पर्थ में रखी गई थी. एक बार चाकू जमा होने के बाद सारे चाकुओं को विसंक्रित किया गया और फिर सबसे पहले तो उनकी धार को हटाया गया. इसके बाद चाकुओं को गला कर एक स्टील के ढांचे से चिपकाया गया. इसके अलावा ब्रिटेन में चाकू वाले अपराधों के शिकार लोगों के परिवार वालों को मूर्ति पर संदेश उकेरने के लिए आमंत्रित भी किया गया.