उत्तराखंड में स्थित सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच दो महीने के लंबे इंतजार के बाद वाहनों की आवाजाही सुचारू हो गई है। यह मार्ग पहले 31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि के कारण बाधित हो गया था, जिससे स्थानीय लोगों और यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। अब मार्ग खुलने से सभी को राहत मिली है, खासकर उन श्रद्धालुओं के लिए जो बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए आ रहे हैं। 31 जुलाई को आई भारी बारिश ने सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच सड़क मार्ग को ध्वस्त कर दिया था। इससे विभिन्न स्थानों पर मार्ग बंद हो गए थे, और यात्रियों को पैदल यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उस समय करीब 29 स्थानों पर पैदल मार्ग को सुचारू किया गया, लेकिन वाहन संचालन की स्थिति को लेकर सवाल बने रहे।
पुनर्निर्माण कार्य तेजी से चल रहा था, और अंततः सोनप्रयाग से एक किमी की दूरी पर स्थित ध्वस्त 150 मीटर मार्ग को करीब दो महीने के बाद वाहनों के लिए खोल दिया गया। स्थानीय प्रशासन और सड़क निर्माण विभाग ने दिन-रात काम किया ताकि श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों को राहत मिल सके। इस बीच, अब तक 12 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए हैं। केदारनाथ की यात्रा उत्तराखंड में एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, और हर साल हजारों लोग इस पवित्र स्थान की यात्रा करते हैं। मार्ग खुलने से यात्रियों को यात्रा में आसानी होगी, जिससे वे अपनी धार्मिक यात्रा को बिना किसी बाधा के संपन्न कर सकेंगे। वाहनों की आवाजाही के शुरू होने से स्थानीय लोगों को भी काफी राहत मिली है। स्थानीय व्यवसाय, जो यात्रा पर निर्भर करते हैं, को इससे बढ़ावा मिलेगा। अब लोग आसानी से आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी कर सकेंगे और अपने व्यवसाय को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर सकेंगे।
सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच मार्ग का खुलना न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। यह कदम सुनिश्चित करता है कि यात्रा का अनुभव सहज और सुरक्षित हो। प्रशासन की कोशिशों से यह साफ है कि उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन और पुनर्निर्माण की दिशा में लगातार प्रयास जारी हैं। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि आने वाले दिनों में कैसे इस क्षेत्र में पर्यटन को और बढ़ावा दिया जा सके।