राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना के लिए प्रस्ताव को शासन से मंजूरी नहीं मिलने के कारण प्रदेश के सरकारी और निजी विद्यालयों में शिक्षा सुधार की प्रक्रिया ठप हो गई है। यह प्रस्ताव, जिसे राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने 2022 में भेजा था, शासन की फाइलों में दबकर रह गया है। दो साल बीत जाने के बाद भी इस महत्वपूर्ण कदम की कोई प्रगति नहीं हो पाई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत यह सिफारिश की गई थी कि सभी विद्यालयों में न्यूनतम व्यावसायिक और गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र निकाय का गठन किया जाए। राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य विद्यालयों में बुनियादी मानदंड, सुरक्षा, आधारभूत ढांचा और शिक्षकों की संख्या को मानक के अनुसार तय करना है। यह प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि सभी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता उच्च स्तर की हो। प्राधिकरण की स्थापना में देरी ने शिक्षा क्षेत्र में कई समस्याओं को जन्म दिया है। विद्यालयों में छात्रों को मिलने वाली सुविधाओं का स्तर गिरता जा रहा है, और शिक्षकों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। बिना किसी मानक के, विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना मुश्किल हो गया है। इससे छात्रों के भविष्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। शासन को इस मामले में शीघ्रता से निर्णय लेने की आवश्यकता है ताकि शिक्षा सुधार की दिशा में उठाए गए कदम आगे बढ़ सकें। यदि राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण का गठन शीघ्र किया जाता है, तो इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के साथ-साथ विद्यालयों में शिक्षकों और छात्रों के लिए एक सकारात्मक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी। शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जो समाज की नींव को मजबूत करता है। इसलिए, शासन को इस दिशा में तत्परता दिखाते हुए राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे न केवल शिक्षा प्रणाली में सुधार होगा, बल्कि यह छात्रों के लिए बेहतर भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।