दिवाली पर काजल लगाने की परंपरा : दिवाली की रात को दीपक से काजल बनाने का रिवाज बहुत ही पुराना है, जिसे आज कई घरों में किया जाता है। दीपावली की रात को दीपक से बनाए जाने वाला काजल बेहद ही शुद्ध होता है। यह काजल आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह काजल केमिकल फ्री होता है, जिसको लगाने से आंखों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।ज्योतिषाचार्यों के अनुसार दिवाली की रात को दीपक से काजल बनाया जाता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है। प्राचीन काल से ही भारतीय महिलाएं दीपक से काजल बनाती हैं। इस काजल को आंखों में लगाने पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता और साल भर आंखें स्वस्थ रहती हैं।
दिवाली की रात को जमकर पटाखा छुड़ाया जाता है, जिससे निकलने वाले धुएं से आंखों में जलन, पानी व आंखों में सूजन आ जाता है या आंखें लाल हो जाती हैं। उस समय यह काजल आंखों में लगाने पर यह सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और साल भर तक आंखें स्वस्थ रहती हैं। दिवाली की रात को जब दीपक जलते हैं तो उसमें शुद्ध सरसों का तेल, लौंग, कपूर को मिट्टी के दिए में मिलाकर रुई की बड़ी सी बत्ती को उसमें डाल दें।
उस दीपक को जब जलाएं तो उसके ऊपर कुछ दूरी पर दूसरा खाली मिट्टी का दिया उल्टा करके रख दें, जिससे शुद्ध सरसों के तेल, लौंग, कपूर का धुआं ऊपर रखे उस दिए के अंदर इकट्ठा होता रहे। यह धुंआ ही दूसरे दीपक में काजल बन जाता है, दीपावली की रात हम सभी इसे अपने आंखों में लगाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस काजल के उपयोग से आंखें साल भर स्वस्थ रहती हैं।