आम तौर पर नवंबर में लोगों के स्वेटर और जैकेट बाहर निकल आते रहे हैं लेकिन इस बार अभी तक सर्दी के आने का सिर्फ इंतज़ार ही हो रहा है। सुबह और शाम को हांलाकि हल्की ठंड का एहसास होने तो लगा है लेकिन पहाड़ों में भी दिन में धुप गर्मी का आभास करा रही है। इसी बीच अब खबर हैं कि इस सर्दी में कड़ाके की ठंड पड़ने के आसार हैं, और यह पिछले 25 साल का रिकॉर्ड तोड़ सकती है. एएमयू के भूगर्भ वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तरी भारत में ठंड बढ़ने का सीधा संबंध प्रशांत महासागर में चल रहे “ला-नीना” प्रभाव से है. यह जलवायु परिवर्तन उत्तरी भारत में तापमान को सामान्य से अधिक कम कर सकता है, जिससे इस बार ठंड बेहद तीव्र हो सकती है।
ला-नीना के कारण हमारे क्षेत्र में तापमान में गिरावट और उच्च दबाव वाली ठंडी हवाएं बढ़ेंगी, जो उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप लाएंगी. “यह एक जलवायु चक्र है, जो मौसम में अप्रत्याशित बदलाव लाता है. जैसे कि बारिश पहले कम हुई, लेकिन फिर काफी ज्यादा बारिश से बाढ़ की स्थिति बनी. यही अस्थिरता ठंड में भी देखने को मिल सकती है।
हर साल दिवाली से पहले लोग गर्म कपड़े निकाल लेते हैं, लेकिन इस बार ऐसी नौबत नहीं आई है. हालांकि उत्तर भारत समेत कई राज्यों में सुबह के समय हल्की ठंड महसूस की जा रही है। IMD के अनुसार अक्टूबर-नवंबर में ला नीना की स्थिति बनने की 71% संभावना है। हालांकि मौसम विभाग का यह भी कहना है कि ठंड कितनी पड़ेगी इसका सटीक पूर्वानुमान नवंबर में ही लग पाएगा। ला नीना के इसी महीने एक्टिव होने पर दिसंबर और जनवरी के महीने में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। ला नीना की वजह से आमतौर पर तापमान में गिरावट आती है। सर्दियों में भी इसकी वजह से अधिक बारिश होती है।