DM की रडार में फंसे आबकरी अफसर ! :- सबसे पहले पूरा घटनाक्रम एक नज़र में समझ लीजिये दरअसल है क्या –
राजहित, एक्साइज़ महकमा और डीएम देहरादून सविन बंसल की सख्ती जारी.
जनहित में अब जिला आबकारी अधिकारी को भुगतना पड़ेगा कार्यशैली का अंजाम.
लोकहित के निर्णय का निजी हित में विरोध पारदर्शिता के लिए खतरा.
पदेन दायित्वों के विपरीत कार्य करने पर आबकारी अधिकारी केपी सिंह सुर्ख़ियों में.
डीएम ने की निलम्बन की संस्तुति; उच्चस्तरीय जांच संस्थित, नहीं बाज आए अपने काले कृत्यों से.
शासन/प्रशासन को गुमराह कर निजी हित में हाईकोर्ट को भेजी भ्रामक आख्या.
कार्य करते हुए लोकहित के निर्णय का किया विरोध ,सीएससी ने भी की है सख्त टिप्पणी.
6 मदिरा दुकानों के शिफ्टिंग का था मामला; डीएम के फैसले को आबकारी आयुक्त, शासन, मा0 न्यायालय ने रखा था बरकरार.
आपको याद दिला दें कि अपने धाकड़ कार्यशैली और तत्काल सटीक और न्यायोचित फैसला लेने के लिए जनता में रियल नायक की छवि बना चुके जिलाधिकारी सविन बसंल की अध्यक्षता में गठित सड़क सुरक्षा समिति द्वारा यातायात एवं जनसुरक्षा के दृष्टिगत बाधक बनी 06 शराब की दुकानों के शिफ्टिंग के आदेश जारी किये थे।
सम्बन्धित अनुज्ञापियों ने फैसले के विरूद्ध मा0 उच्च न्यायालय, आबकारी आयुक्त एवं शासन में अपील की थी जिसको सभी स्तरों पर खारिज कर दिया गया था। अब इस मामले में बहुत बड़ी अपडेट सामने आ रही है जहाँ डीएम के एक्शन के बाद शासन के डिसीजन पर सबकी नज़र है।

देहरादून जिला प्रशासन की माने तो हाईकोर्ट, शासन, आयुक्त सब ने डीएम के आदेश को ठीक ठहराया लेकिन आबकारी विभाग के सूत्रों के मुताबिक आर. पी. सिंह ने किसी ख़ास उत्साह में बड़ी भूल कर दी हैं जिसके बाद मामला मुख्य सचिव तक जा पहुंचा है। मुख्य स्थायी अधिवक्ता की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि जिला आबकारी अधिकारी ने “petitioners के साथ मिलकर कार्य किया है और वह उच्च अधिकारियों के निर्णयों का पालन करने को इच्छुक नहीं हैं।” उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति में शासन के आदेशों का बचाव न्यायालय में अत्यंत कठिन होगा। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रमुख सचिव, आबकारी और अन्य उच्च अधिकारियों ने के.पी. सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने तथा उनके विरुद्ध उच्च स्तरीय जांच कराने की संस्तुति की है।
राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने जो पात्र उच्च न्यायालय में भेजे हैं उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केपी सिंह ने अपने स्तर से अदालत को तथ्य भेजे जो न केवल शासन के निर्णयों के विपरीत हैं, बल्कि जनहित को भी प्रभावित करते हैं।
पूरा मामला 27 मार्च 2025 को जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति की बैठक से शुरू हुआ, जिसमें देहरादून के कुछ प्रमुख चौराहों पर अवस्थित शराब दुकानों को ट्रैफिक जाम और सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक (यातायात) की संस्तुति पर इन दुकानों के स्थानांतरण का निर्णय लिया गया। इसके बाद जिलाधिकारी ने आदेश जारी कर दुकानों को अन्यत्र स्थानांतरित करने के निर्देश दिए। देखना होगा की अब शासन स्तर पर आगे क्या एक्शन लिया जायेगा।