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Home » केदारनाथ जल प्रलय पार्ट टू है धराली आपदा
उत्तराखंड

केदारनाथ जल प्रलय पार्ट टू है धराली आपदा

People say that if the flow of the river had moved straight ahead, the village settlement could have suffered huge losses, but due to the water turning towards the market, the commercial buildings have suffered the most damage.
Narad PostBy Narad PostAugust 7, 2025No Comments4 Mins Read
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केदारनाथ जल प्रलय
केदारनाथ जल प्रलय
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केदारनाथ जल प्रलय पार्ट टू है धराली आपदा :- उत्तरकाशी में आई आपदा का पैटर्न वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई जल प्रलय की तरह ही था। दोनों घटनाओं की वजह भूमध्य सागर से उठने वाले पश्चिमी विक्षोभ का हिमालय से टकराना रहा है। जिससे बादल फटने की घटना ने विकराल रूप अख्तियार कर लिया।

यह कहना है आईआईटी रुड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक प्रोफेसर अंकित अग्रवाल का , उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अब पश्चिमी विक्षोभ और मानसून आगे की तरफ शिफ्ट हो रहा है। 2013 में केदारनाथ में भी इसी तरह का पश्चिमी विक्षोभ का असर था, जो मंगलवार को उत्तरकाशी में था।

बता दें कि आईआईटी रुड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक जर्मनी की पॉट्सडैम यूनिवर्सिटी के साथ इंडो जर्मन परियोजना पर काम कर रहे हैं। जिसमें भारतीय हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक खतरों (बादल फटने और अतिवृष्टि) का आकलन एवं भविष्यवाणी पर शोध किया जा रहा है।

प्रोफेसर अग्रवाल के मुताबिक जलवायु परिवर्तन इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार बन रहे हैं। भूमध्य सागर से उठने वाली हवाएं जब पश्चिम से पूरब की ओर चलती हैं तो हिमालय से टकराती हैं जिससे बादल फटने जैसी आशंका बढ़ जाती है।

अब पश्चिम विक्षोभ का पैटर्न बदल रहा है और यह विक्षोभ मध्य भारत से हिमालय की तरफ खिंच रहा है। जो बड़ी मात्रा में अपने साथ नमी लेकर हिमालय की ओर बढ़ता है।

इसी के चलते हिमालयी राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू आदि में एक साथ सामान्य से अधिक वर्षा हो रही है। 25 साल पीछे की तरफ जाएं तो पश्चिमी विक्षोभ अक्तूबर से दिसंबर माह के बीच होते थे। लेकिन अब यह जून से अगस्त माह में ही सक्रिय होने लगे हैं। यह बदला हुआ पैटर्न प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से खतरे का संकेत है।

हिमाचल में भी इसी पैटर्न पर आ रही आपदा

प्रो. अग्रवाल के मुताबिक हिमाचल और उत्तराखंड में इसी पैटर्न पर अतिवृष्टि और बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं। हिमाचल में सितंबर 2023 में कई जगहों पर हुई तबाही के पीछे भी पश्चिमी विक्षोभ का सक्रिय होना था।

उत्तरकाशी में जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर धराली गांव के ऊपर खीरगंगा में मंगलवार दोपहर बादल फटने से खीरगंगा नदी में सैलाब आ गया। तेजी से आए मलबे और पानी की चपेट में आने से धराली का मुख्य बाजार पूरी तरह तबाह हो गया। साथ ही प्रसिद्ध कल्प केदार मंदिर भी पूरी तरह मलबे में बह गया है।

जिला प्रशासन ने बताया कि देर शाम तक 130 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका था। चार लोगों के मरने की पुष्टि की है। जबकि करीब 70 लोग लापता बताए जा रहे हैं। साथ ही 30 होटल-दुकान-घर मलबे में बहने के कयास लगाए जा रहे हैं। हर्षिल घाटी में मंगलवार को तीन जगह बादल फटे।

खीर गंगा में बादल फटने से सबसे ज्यादा तबाही धराली में मची। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंगलवार दोपहर करीब 1.50 बजे गांव के ऊपर बादल फटा। इसके बाद महज 20 सेकंड के भीतर खीरगंगा नदी का पानी और मलबा मुख्य बाजार की ओर मुड़ गया। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ रहे थे, लेकिन इससे पहले कि वह सुरक्षित जगह पर पहुंच पाते सैलाब ने सब कुछ तबाह कर दिया।

वहां मौजूद कई होटल, रिसॉर्ट, दुकानें, घर और सेब के बगीचे जमींदोज हो गए। वहां चीख-पुकार मच गई। देखते ही देखते पूरा बाजार मलबे के ढेर में तब्दील हो गया। सूचना मिलते ही जिला प्रशासन तुरंत हरकत में आया और एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, सेना और पुलिस की टीमें मौके पर भेजी गई। बचाव दल ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया और होटल में फंसे कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।

व्यावसायिक इमारतों को हुआ ज्यादा नुकसान

लोगों का कहना है कि अगर नदी का बहाव सीधे आगे बढ़ता तो गांव की बस्ती को भी भारी नुकसान हो सकता था लेकिन पानी बाजार की ओर मुड़ जाने से सबसे ज्यादा नुकसान व्यावसायिक इमारतों को हुआ है। एक बार पानी के साथ मलबा आया व उसके बाद कुछ देर के लिए रुक गया। कुछ देर बाद दोबारा मलबा आया।

सीएम धामी ने बताया कि जिला प्रशासन, भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत अन्य एजेंसियां राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। प्राथमिकता के आधार पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है। प्रभावितों की हर संभव मदद के निर्देश दिए गए हैं।

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