Income Tax के नए नियम – टैक्सपेयर्स को मिलेगा तोहफा :- भारत सरकार टैक्सपेयर्स के लिए एक नई और सरल कर प्रणाली लाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। आयकर विभाग नए इनकम टैक्स अधिनियम, 2025 को लागू करने की तैयारी में जुटा है, जो पुराने 1961 के आयकर कानून की जगह लेगा। यह नया अधिनियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य (विधायी) आर.एन. परबत ने बताया कि नए नियमों को दिसंबर 2025 तक अधिसूचित करने का लक्ष्य है। इसके साथ ही टैक्स फॉर्म्स को और अधिक यूज़र-फ्रेंडली बनाने पर भी काम चल रहा है।
नए कानून की खासियतें
नया इनकम टैक्स अधिनियम, 2025, पुराने कानून को पूरी तरह बदल देगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 21 अगस्त 2025 को इस अधिनियम को मंजूरी दी थी, और यह बिल संसद में 12 अगस्त 2025 को पास हुआ था। नए नियमों और फॉर्म्स को तैयार करने के लिए आयकर विभाग ने 13 फरवरी 2025 से काम शुरू कर दिया था। इसके लिए एक विशेष “रूल्स एंड फॉर्म्स कमेटी” बनाई गई है, जो पुराने नियमों की समीक्षा कर रही है और उन्हें सरल बनाने पर काम कर रही है। जनता से प्राप्त सुझावों के आधार पर एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है, जिसे अब सीबीडीटी के टैक्स पॉलिसी एंड लेजिस्लेशन (टीपीएल) डिवीजन में समीक्षा के लिए भेजा गया है।
टाइमलाइन और प्रक्रिया
नए नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। सीबीडीटी ड्राफ्ट की समीक्षा करेगा, जिसके बाद इसे वित्त मंत्री के पास भेजा जाएगा। फिर कानून मंत्रालय द्वारा वैधानिक परीक्षण होगा। अंत में, नियम संसद में पेश किए जाएंगे और दिसंबर 2025 तक अधिसूचित कर दिए जाएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि नया कानून 1 अप्रैल 2026 से लागू हो सके।
सरल और यूज़र-फ्रेंडली टैक्स फॉर्म्स
आयकर विभाग मौजूदा सभी टैक्स फॉर्म्स, जैसे कि ITR और TDS रिटर्न फॉर्म्स, को फिर से डिजाइन कर रहा है। नए फॉर्म्स को इस तरह तैयार किया जा रहा है कि टैक्स भरने की प्रक्रिया आसान और सहज हो। सीबीडीटी के सदस्य आर.एन. परबत ने कहा, “हमारा लक्ष्य न केवल कानून को सरल बनाना है, बल्कि टैक्सपेयर्स के लिए प्रक्रिया को भी इतना सहज करना है कि उन्हें न्यूनतम परेशानी हो।” इससे न केवल आम टैक्सपेयर्स को फायदा होगा, बल्कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को भी बढ़ावा मिलेगा।
टैक्सपेयर्स के लिए क्या होगा नया ?
सरल भाषा: नए नियम आसान और समझने योग्य भाषा में होंगे, ताकि टैक्सपेयर्स को जटिल शब्दावली से जूझना न पड़े।
गैर-जरूरी प्रावधानों का अंत: पुराने और जटिल प्रावधानों को हटाया जाएगा।
तकनीक का उपयोग: टैक्स प्रक्रिया को डिजिटल और तकनीक आधारित बनाया जाएगा, जिससे समय की बचत होगी।
सहायक संसाधन: टैक्सपेयर्स की मदद के लिए FAQs, SOPs (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स), और गाइडेंस नोट्स जारी किए जाएंगे।
क्यों जरूरी है यह बदलाव ?
सरकार का मानना है कि टैक्स प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने से न केवल टैक्सपेयर्स का भरोसा बढ़ेगा, बल्कि कर अनुपालन में भी सुधार होगा। नए नियम और फॉर्म्स टैक्सपेयर्स के लिए बोझ को कम करेंगे और व्यवसाय करने की प्रक्रिया को और आसान बनाएंगे। यह कदम भारत को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।
