तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण और आवश्यक सुरक्षात्मक कार्यों के लिए प्रदेश सरकार ने तमाम शर्तों के साथ सैद्धांतिक सहमति दे दी है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में विश्वविख्यात तुंगनाथ मंदिर को तृतीय केदार के नाम से जाना जाता है। यह विश्व का सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है। तुंगनाथ मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं। तुंगनाथ के जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण और आवश्यक सुरक्षात्मक कार्यों के लिए प्रदेश सरकार ने तमाम शर्तों के साथ सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इस संबंध में सचिव धर्मस्व हरिचंद्र सेमवाल ने बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को पत्र जारी किया।
केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की (सीबीआरआई) की देखरेख में मंदिर के संरक्षण कार्य किए जाएंगे। बदरीनाथ केदारनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण कार्य के लिए अनुमति देने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह सिंह धामी का आभार जताया है।
इस निर्णय का स्वागत करते हुए बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि तुंगनाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है।
उन्होंने बताया कि इस मंदिर का जीर्णोद्वार उत्तराखंड के पर्यटन और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। शासन ने मंदिर की पौराणिकता को देखते हुए इसकी विस्तृत योजना रिपोर्ट (डीपीआर) और सभी काम सीबीआरआई रुड़की से संपादित कराने के निर्देश दिए हैं। शासन ने ये भी निर्देश दिए कि पूरे काम एएसआई और जीएसआई के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए किए जाएंगे।