मानसून सत्र से पहले जानिए संसद सत्रों के प्रकार: संसद का मानसून सत्र आज 21 जुलाई से शुरू हो गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि संसद के सत्र कितने प्रकार के होते हैं? क्यों बुलाए जाते हैं और इन्हें बुलाने की प्रक्रिया क्या होती है? हर साल संसद के सत्र लगते हैं और सत्र बुलाने की प्रक्रिया में केंद्रीय कैबिनेट, संसदीय कार्य मंत्रालय और राष्ट्रपति अहम भूमिका निभाते हैं। सत्र बुलाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया पूरी करके सत्र की तारीखों का ऐलान किया जाता है, ताकि सांसद अपने वर्क शेड्यूल को उन तारीखों के अनुसार ही तय कर सकें, क्योंकि संसद के सत्रों में सांसदों की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
क्या है मानसून सत्र 2025 का प्लान?
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद का मानसून सत्र 2025 बुलाने का औपचारिक ऐलान किया। लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों द्वारा सांसदों को मानसून सत्र का औपचारिक सम्मन भेज दिया गया है। मानसून सत्र सुबह 11 बजे शुरू होगा। सत्र पहले 12 अगस्त तक के लिए प्रस्तावित था, लेकिन अब 21 अगस्त तक चलेगा। संसदीय कार्य मंत्रालय ने सेशन की वर्किंग लिस्ट और एजेंडा तैयार कर लिया है। मोदी सरकार 8 नए विधेयक सेशन में पेश करेगी। सत्र की 21 बैठकें लगेंगी, लेकिन 12 से 18 अगस्त तक स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी के चलते सत्र नहीं लगेगा।
कितने प्रकार के होते हैं संसद सत्र?
संविधान के अनुसार, संसद के मुख्यत: 3 प्रकार के सत्र बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतलकालीन सत्र विशेष सत्र बुलाए जाते हैं। बजट सत्र फरवरी से मई के बीच बुलाया जाता है। इस बजट में केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष का बजट पेश करती है। बजट सत्र सबसे लंबा होता है। इसमें वित्त विधेयक और अन्य आर्थिक नीतियों पर चर्चा होती है।
मानसून सत्र जुलाई से अगस्त-सितंबर के बीच बुलाया जाता है। इसमें विधेयक पेश किए जाते हैं। सरकार की नीतियों और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होती है। शीतकालीन सत्र नवंबर-दिसंबर में बुलाया जाता है, जिसमें विधायी कार्य किए जाते हैं। सरकार की नीतियों पर चर्चा होती है। इसके अलावा इमरजेंसी की स्थिति में, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी मुद्दे पर या अन्य किसी विशेष परिस्थिति में संसद विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है, जिसे मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति बुला सकती हैं।