Pushkar Singh dhami राज में एक के बाद एक बड़े फैसले: उत्तराखंड की राजनीति में मुख्यमंत्री के रूप में चेहरों का बार-बार बदलना आम रहा है, लेकिन पुष्कर सिंह धामी ने इस प्रवृत्ति को बदलने का कार्य किया है। उन्होंने 3 साल और 358 दिन का कार्यकाल पूरा करके न केवल त्रिवेन्द्र सिंह रावत (3 साल 357 दिन) को पीछे छोड़ा, बल्कि प्रदेश के इतिहास में दूसरे सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता बन गए हैं। उनसे ऊपर केवल कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी हैं, जिनका कार्यकाल 2002 से 2007 तक चला था। धामी का कार्यकाल सिर्फ लंबा नहीं, बल्कि निर्णयात्मक भी रहा। उनकी सरकार ने नकल विरोधी कड़ा कानून बनाया जिसमें उम्र कैद और संपत्ति जब्ती जैसे प्रावधान शामिल हैं। इसके साथ ही धर्मांतरण पर नियंत्रण, भूमि कानून में बदलाव और समान नागरिक संहिता (UCC) की दिशा में पहल उनके शासन की प्रमुख उपलब्धियाँ रहीं। इन निर्णयों ने उन्हें एक मजबूत और निर्णायक नेतृत्व के रूप में स्थापित किया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में धामी को अपनी सीट पर हार का सामना करना पड़ा, फिर भी पार्टी ने उन पर भरोसा जताया। उन्होंने चंपावत उपचुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज कर पुनः मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह उनके नेतृत्व पर पार्टी और जनता के विश्वास का प्रमाण है। उनकी व्यक्तिगत छवि शांत, सौम्य और विवादों से दूर रही है। जोशीमठ भू-धंसाव, सिल्क्यारा टनल हादसा और केदारनाथ जैसे आपदाओं के समय धामी खुद मौके पर पहुंचे और राहत कार्यों का नेतृत्व किया। उनकी सक्रियता और संवेदनशीलता ने उन्हें “आपदा में संकटमोचक” की छवि दिलाई। सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के अभियान के तहत अब तक 2700 हेक्टेयर भूमि मुक्त कराई जा चुकी है। धामी सरकार ने राज्य के आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी है। उन्होंने सिंगल विंडो सिस्टम को प्रभावी बनाते हुए निवेश बढ़ाने के लिए भूमि बैंक तैयार किया है। पर्यटन, उद्योग और कृषि के क्षेत्र में नई नीतियाँ तैयार की गई हैं जिससे युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने में मदद मिली है। इससे पलायन पर भी रोक लगेगी। उत्तराखंड ने अपनी रजत जयंती के अवसर पर 38वें नेशनल गेम्स की मेजबानी कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। आयोजन की तारीफ स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने की। इससे राज्य की प्रशासनिक दक्षता और क्षमता का प्रदर्शन हुआ। मुख्यमंत्री धामी बार-बार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि उत्तराखंड की धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित रखना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा है कि धर्मांतरण और अतिक्रमण जैसे कार्य किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। ऋषिकेश को सांस्कृतिक नगरी के रूप में विकसित करने का कार्य भी तेजी से चल रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कार्यकाल न केवल स्थायित्व का प्रतीक बन चुका है, बल्कि नीति, निर्णय और निष्पादन की दृष्टि से भी उल्लेखनीय रहा है। उत्तराखंड को अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में उनके प्रयास उल्लेखनीय हैं। यदि यह गति बनी रही तो 2025 तक उत्तराखंड देश के सबसे प्रगतिशील राज्यों में शामिल हो सकता है।