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Home » घर खरीदें या किराए पर लें – कौन सा फैसला आपके लिए बेहतर रहेगा ?
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घर खरीदें या किराए पर लें – कौन सा फैसला आपके लिए बेहतर रहेगा ?

Is it better to rent or own your own home.
Sponsored By: KABIR SINGHFebruary 8, 2025No Comments4 Mins Read
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घर खरीदें या किराए पर लें
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घर खरीदें या किराए पर लें – कौन सा फैसला आपके लिए बेहतर रहेगा : क्या किराए पर रहना बेहतर है या अपना घर लेना? यह एक जटिल सवाल है. क्या किसी को घर को होम लोन की मदद से खरीदने पर बड़ा खर्च करना चाहिए. जब कीमतें ऊंची हैं और कई शहरों में कैपिटल एप्रिसिएशन उतनी नहीं है जितनी पहले थी. क्या ऑफिस के पास किराए पर रहना आसान नहीं है? घर में निवेश एक सुरक्षित और ठोस निवेश है. घर में सिर्फ चार दीवारें नहीं होती है बल्कि इसके साथ बहुत सारी भावनाएं जुड़ी होती हैं. आइए इसे टैक्स के नजरिए से देखें.

किराए पर घर लेना

टैक्स के नजरिए से किराए पर घर लेने का सबसे बड़ा फायदा हाउस रेंट अलाउंस (HRA) की छूट है. अगर एचआरए आपके सैलरी पैकेज का हिस्सा नहीं है – जैसे कि अगर आप सेल्फ-इम्पलॉयड हैं या कंसल्टेंट हैं तो आप ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत ग्रॉस टैक्सेबल इनकम से हर माह 5,000 रुपये तक के डिडक्शन फायदा उठा सकते हैं. एचआरए छूट उन टैक्सपेयर्स के लिए उपलब्ध नहीं है जो न्यू टैक्स रिजीम का विकल्प चुनते हैं. छूट निम्नलिखित में से सबसे कम पर होती है-

सैलरी के 10 फीसदी से कम किराया भुगतान (बेसिक सैलरी और डीए)
अगर घर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता या चेन्नई में है तो सैलरी का 50%, अन्य शहरों में सैलरी का 40%
एक्चुअल HRA हासिल

अन्य फायदे

किराया होम लोन EMI से कम हो सकता है
लोकरेशन और टाइप का ज्यादा विकल्प
शहर के किसी दूसरे एरिया में आसानी से रीलोकेट हो सकते हैं
टैक्स बेनिफिट्स उपलब्ध हैं (ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत)

नुकसान

चाहे कितना भी हो किराया, एसेट नहीं बनता
किराया आमतौर पर हर साल बढ़ता है, जिससे कैश आउटफ्लो बढ़ता है
स्ट्रक्चरल बदलाव करने की कोई गुंजाइश नहीं या लिमिटेड गुंजाइश
शॉर्ट नोटिस पर खाली करना पड़ सकता है

प्रॉपर्टी खरीदना

टैक्स लाभ केवल ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत उपलब्ध हैं. अगर आप घर खरीदने के लिए होम लोन लेते हैं, तो ईएमआई आमतौर पर दो भागों में बनती है- एक भाग प्रिंसिपल (जो रकम आपने लोन के रूप में ली) की ओर जाता है और दूसरा ब्याज (लोन की सर्विस की कॉस्ट) की ओर.

प्रिंसिपल चुकौती पर: ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत धारा 80C के तहत कुल 1.5 लाख की लिमिट के तहत डिडक्शन उपलब्ध है. इस लिमिट के तहत प्रिंसिपल रीपेमेंट, स्टाम्प ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस और हाउस प्रॉपर्टी के ट्रांसफर से जुड़े अन्य खर्च डिडक्शन के लिए योग्य है.

ब्याज भुगतान पर: 3 स्थितियां लागू होती हैं

घर सेल्फ-ऑक्यूपाइड है, खाली है या किराए पर दिया गया है. ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत सेल्फ-ऑक्यूपाइड हाउस प्रॉपर्टी के लिए होम लोन पर भुगतान किए गए ब्याज पर सालाना 2 लाख तक की डिडक्शन उपलब्ध है. इसे किसी अन्य इनकम के बदले सेट ऑफ किया जा सकता है. वही नियम लागू होते हैं, भले ही घर खाली हो. अगर आपने घर किराए पर दिया है, तो आप न केवल होम लोन पर भुगतान किए गए ब्याज के लिए, बल्कि भुगतान किए गए म्यूनिसपल टैक्स और रेंटल इनकम के 30 फीसदी की स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए भी कटौती का क्लेम कर सकते हैं.

नुकसान का सेट-ऑफ और कैरी फॉरवर्ड

अगर आपका घर सेल्फ-ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी है जिसे होम लोन का उपयोग करके खरीदा गया है, तो इसका मतलब है कि आपको इससे कोई रेंटल इनकम नहीं होती है. इसलिए, होम लोन पर भुगतान किया गया ब्याज से नुकसान होगा. हाउस प्रॉपर्टी से कुल 2 लाख तक का नुकसान (चाहे सेल्फ-ऑक्यूपाइड हो या किराए पर दिया गया हो) किसी भी अन्य इनकम (जैसे कि सैलरी या अन्य सोर्स से आय) के बदले एक वित्तीय वर्ष में एडजस्टमेंट किया जा सकता है. 2 लाख से ज्यादा का नुकसान 8 आगामी असेसमेंट ईयर के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है लेकिन केवल ‘हाउस प्रॉपर्टी से इनकम’ के बदले सेट ऑफ किया जा सकता है.

नोशनल रेंट

नोशनल रेंट की कॉन्सेप्ट तब लागू होती है जब किसी व्यक्ति के पास 3 या उससे ज्यादा घर होते हैं. ऐसे मामलों में 2 हाउस प्रॉपर्टी को सेल्फ-ऑक्यूपाइड (2025 के बजट प्रस्तावों के अनुसार बिना किसी शर्त के) और बाकी को ‘माना गया किराए पर दिया गया’ माना जाता है. यह अपेक्षित मार्केट रेंट पर आधारित होता है और टैक्सेबल बन जाता है.

फायदे

एक घर एक एसेट है और EMI इस संपत्ति को बनाने की ओर जाती है.
होम लोन पर टैक्स बेनिफिट्स

नुकसान

डाउन पेमेंट और रजिस्ट्रेशन जैसे भारी लागत, इसके बाद प्रॉपर्टी टैक्स और रिपेयर.
हाउस प्रॉपर्टीज इलिक्विड होती हैं क्योंकि उन्हें जल्दी बेचा नहीं जा सकता.
प्रॉपर्टी की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है और अपेक्षित रिटर्न नहीं मिल सकता.
EMI नियमित रूप से चुकानी पड़ती है.

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