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Home » चारधाम शीतकालीन यात्रा : धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत संगम
उत्तराखंड

चारधाम शीतकालीन यात्रा : धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत संगम

The Char Dhams of Uttarakhand – Badrinath, Kedarnath, Gangotri and Yamunotri – are considered to be the main pilgrimage sites of Hinduism.
Narad PostBy Narad PostDecember 21, 2024Updated:December 21, 2024No Comments3 Mins Read
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चारधाम शीतकालीन यात्रा
चारधाम शीतकालीन यात्रा
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चारधाम शीतकालीन यात्रा : उत्तराखंड के चारधाम—बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री—हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल माने जाते हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु इन धामों में दर्शन करने के लिए आते हैं। लेकिन चारधाम यात्रा के कपाट बंद होने के बाद भी इन स्थानों की धार्मिक महत्ता बरकरार रहती है। इन धामों की पूजा अर्चना अब शीतकालीन प्रवास स्थलों पर होती है, जहां श्रद्धालु अपनी आस्था के अनुसार यात्रा कर सकते हैं। प्रदेश सरकार भी इस शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है।

चारधामों का शीतकालीन प्रवास और पूजा-अर्चना

चारधाम यात्रा के कपाट बंद होने के बाद, इन धार्मिक स्थलों की पूजा अर्चना शीतकालीन गद्दी स्थलों पर होती है। यह स्थान विशेष रूप से उस समय श्रद्धालुओं के लिए खुलते हैं, जब मुख्य मंदिरों के कपाट बंद होते हैं।

  • बदरीनाथ धाम: शीतकाल में बदरीनाथ धाम की पूजा पांडुकेश्वर में की जाती है। पांडुकेश्वर बदरीनाथ से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां भगवान बदरीनाथ की पूजा होती है।
  • केदारनाथ धाम: बाबा केदार की पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में होती है। ऊखीमठ, जो केदारनाथ के समीप स्थित है, एक प्रमुख शीतकालीन गद्दी स्थल है। यहां भगवान केदार की पूजा श्रद्धालु अत्यधिक श्रद्धा और आस्था के साथ करते हैं।
  • गंगोत्री और यमुनोत्री धाम: गंगोत्री धाम की पूजा शीतकाल में मुखवा में होती है, जबकि यमुनोत्री धाम की पूजा खरसाली में की जाती है। ये स्थल गंगोत्री और यमुनोत्री के प्रमुख मंदिरों से कुछ दूरी पर स्थित हैं और श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल में खुलते हैं।

श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या

शीतकालीन यात्रा को लेकर अब श्रद्धालुओं में भी खासा उत्साह देखा जा रहा है। अब तक चारधामों के शीतकालीन गद्दी स्थलों पर चार हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। इनमें सबसे अधिक श्रद्धालु ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में पहुंचे हैं, जहां बाबा केदार के दर्शन के लिए 3200 श्रद्धालुओं ने यात्रा की। यह दर्शाता है कि शीतकालीन यात्रा का महत्व बढ़ रहा है और श्रद्धालु इन स्थानों पर भी अपनी आस्था के साथ पूजा अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं।

प्रदेश सरकार का समर्थन और प्रयास

प्रदेश सरकार शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। शीतकालीन यात्रा को और व्यवस्थित और सुगम बनाने के लिए सरकार ने इन गद्दी स्थलों की व्यवस्थाओं में सुधार किया है। इसके साथ ही, पर्यटन विभाग इन स्थलों को और आकर्षक बनाने के लिए प्रचार-प्रसार कर रहा है, ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु इन स्थलों पर पहुंच सकें। शीतकालीन यात्रा के लिए प्रशासन ने परिवहन, आवास और अन्य सुविधाओं को मजबूत किया है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

 

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