बिटिया के सर पर डीएम बंसल ने रखा हाथ :- कहते हैं किसी को रोते से हंसाने से बड़ा पुण्य कोई और नहीं है…औऱ बात जब किसी मासूम बिटिया के भविष्य से जुड़ी हो तो इंसानियत ओहदे से बड़ी हो जाती है और फैसले दिल से होते हैं जो देहरादून के सम्वेदनशील डीएम सविन बंसल ने किया और वो समाज के लिए नज़ीर बन गया , आपने कलियुगी बेटों बहु की शर्मनाक करतूतों के बारे में तो खूब पढा, सुना और देखा होगा लेकिन यहां मामला उल्टा हो गया लेकिन उल्टे को चंद घंटे में ही डीएम बंसल ने सीधा कर दिया और हो गया न्याय…
महज उम्रदराज होना ही लाचार बहु-बच्चों को बेघर करने का लाइसेंस नहीः डीएम
आज की ये ख़बर आपको चौंका देगी, भावुक भी कर देगी क्योंकि जिस पिता को अपने बेटे बहु और पोती के लिए गार्जियन बनना चाहिए था वही उनकी जान का दुश्मन बन गया और रच दिया एक शर्मनाक खेल…आगे बताते हैं आपको पूरा मामला है क्या जिसको डीएम सविन बंसल की शार्प नजर ने दो सुनवाई में ही पहचान लिया।
पिता फ्लैट के मोह में अंधा हो गया
जिलाधिकारी जनता दर्शन में देहरादून के बालावाला से एक अजब ग़ज़ब मामला सुनवाई के लिए डीएम दरबार में पहुंचा था..एक राजपत्रित पिता जो चलने फिरने में सक्षम है फिर भी व्हीलचेयर पर आकर डीएम से गुहार लगाई थी कि उनका बेटा बहु उनसे मारपीट करते हैं, उन्होंने भरण पोषण अधिनियम में मामला दाखिल कराने का अनुरोध किया जिस पर डीएम कोर्ट में केस दाखिल किया तथा फास्ट्रेक सुनवाई की गई। पिता द्वारा अपने ही पुत्र, बहु और 4 साल की नौनिहाल पर भरणपोषण अधिनियम में वाद दायर कर दिया।
कैसे बेनकाब हुआ शातिर दिमाग फरियादी
जिला मजिस्ट्रेट सविन बंसल ने दोनों पक्षों को बड़े संजीदगी से पहले सुना और फिर दोनो पक्षों द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूत की जांच करने पर पाया कि पिता चल फिर सकने में सक्षम है और माता-पिता कुल 55 हजार आय अर्जित करते हैं तथा अपने अल्पवेतनभोगी लाचार बेटे के परिवार को निजी स्वार्थ के चलते झूठा मामला बनाकर उन्हें घर से बेघर करना चाहते है। महज उम्रदराज होना ही बहु-बच्चों को बेघर करने का लाईसेंस नही है यह आज डीएम कोर्ट में पेश हुए वाद जिसमें डीएम ने निर्णय सुनाया है उससे सिद्ध हो गया है जहां एक राजपत्रित अधिकारी पद से सेवानिवृत्त एक पिता ने फ्लेट के मोह में इतना अंधा हो गया कि अपने ही अर्थिक रूप से कमजोर बीमार बहु-बेटे व 4 वर्षीय पौती को बेदखल, घर से बेघर करने की योजना बनाई और डीएम कोर्ट में भरण पोषण अधिनियम वाद डाला।
समाज के लिए नजीर बना डीएम सविन का फैसला
डीएम न्यायालय में पेश इस मार्मिक प्रकरण ने आज प्रचलित विचारधारा को झंझोड़ कर ही रख दिया। डीएम ने मात्र 2 सुनवाई में स्थिति परखते ही लाचार दम्पति को कब्जा प्रतिस्थापित किया है। भरणपोषण अधिनियम का दुरूपयोग करने वालों पर डीएम का फैसला नजीर बन गया है जिसमें वाद निर्णित, समाप्त कार्यन्वित किया गया हैं। यही नहीं पिता से पीड़ित बहु- बेटे के परिवार को बाहरी लोगों को बुलाकर पिटवा चुका है जिस पर डीएम ने एसएसपी को दम्पति की सुरक्षा के निर्देश दिए है।
इस वाद में असहाय के पक्ष में निर्णय से एक बार फिर कानून की आड़ में लाचारों का हक छिनने वालों पर जिला प्रशासन की न्यायप्रिय सख्त प्रशासन की छवि दर्शाता है। दोनों पक्षों को त्वरित सुन डीएम ने अपना फैसला सुनाते हुए पिता द्वारा दाखिल साजिश डीएम कोर्ट ने खंडित कर दी है।
जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में दाखिल वाद संगीता वर्मा पत्नी जुगल किशोर वर्मा (माता-पिता) बनाम अमन वर्मा पुत्र नकरोंदा सैनिक कालोनी बालावाला में जहां राजपत्रित अधिकारी पद सेवानिवृत पिता जिसकी आय 30 हजार तथा माता की मासिक आय 25 हजार अपने अल्पवेतनभोगी बेटे अमन व उसकी पत्नी मीनाक्षी जिनकी कुल मासिक आय 25 हजार है पर भरणपोषण अधिनियम वाद पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाते हुए माता-पिता द्वारा दायर वाद को खंडित करते हुए लाचार दम्पति को डीएम ने किया कब्जा प्रतिस्थापित कर दिया है।
अमन वर्मा एक छोटी प्राइवेट नौकरी से अपने परिवार की देखभाल करता है, जिसमें एक चार साल की पुत्री भी है, जो कि जीवन की इस अवस्था में है कि उसको समुचित देखभाल, लालन-पालन व प्रेम एवं स्नेह की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में दोनों पक्षों के मध्य उत्पन्न मतभेद से विपक्षीगण की 4 वर्षीय पुत्री का भी भविष्य दाव पर लग गया है व मीनाक्षी जो कि अपीलार्थीगण की पुत्रवधु है, का भी अपने Shared household बेदखल होने का खतरा उत्पन्न हो गया है, जिससे वंचित किया जाने पर उनके के अधिकार भी पराजित हो जायेंगे।
विवेचना के आधार पर जिला मजिस्टेट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अपीलार्थी ने की अपील बलहीन होने के कारण निरस्त की जाती है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून को भी निर्देशित किया गया है कि वे अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के निवास स्थान में प्रत्येक माह में दो बार निरीक्षण करवाकर यह सुनिश्चित करें कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के रहन-सहन में किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप न करें और न ही ऐसा कोई कार्य करें, जिससे उनके विधि द्वारा प्रदत् अधिकारों का हनन होता हो या पारस्परिक शांन्ति व्यवस्था भंग होती हो।
जिला मजिस्ट्रेट बंसल ने अपनी कोर्ट में दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए शातिर दिमाग के पिता द्वारा दायर भरणपोषण अधिनियम वाद खारिज कर दिया है। जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट का यह उन सभी प्रकरणों में नजीर साबित होगा जिनमें झूठे वाद में फसाया जाता है। इससे असहाय लाचारों में न्याय के प्रति सम्मान बढेगा और कानून की आड़ में निर्दाेश लोगों को फसाने वालो के मंसूबे कमजोर पड़ेंगे, जनसामान्य में न्याय की आस और सविन बंसल जैसे संवेदनशील अफसरों के प्रति पीड़ितों के मन में उम्मीद की लौ मजबूत होगी।