पौड़ी में यूं तो स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के बड़े-बड़े दावे होते हैं लेकिन पौड़ी में स्वास्थ्य सेवाओं के हालात बद से बत्तर होते हुए दिखाई दे रहे हैं आलम यह है कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं तो वहीं जिलाधिकारी ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर हालातो का जायजा ले रहे हैं। देर रात डीएम पौड़ी आशीष चौहान के द्वारा थैलीसेंड स्थित अस्पताल का जायजा लिया गया जहां पर ना डॉक्टर और ना ही स्वास्थ्य विभाग का कोई स्टाफ मौजूद था अब भला कोई जरूरतमंद वहां पहुंचे तो इलाज कौन करें ? स्वास्थ्य विभाग के जिले में मौजूद जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ परिक्रमा करने में ही व्यस्त है जबकि अस्पताल अपनी बदहाली का रोना रो रहे हैं।
क्या हालत उस जिले के हैं जो वीआईपी जिले में देखा जाता है। जाकर हालत सबसे बेहतर होने चाहिए वही के हालात इस प्रकार के हैं तो अंदाजा लगाया जा सकता है की जिम्मेदारी कितने मजबूत कंधों पर दी गई है।। स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने के सरकार के लाख प्रयास के बाद भी अधिकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर पलीता लगाने में लगे हुए हैं इसका जीता जागता उदाहरण जिला अधिकारी के छापे के दौरान देखने को मिला डीएम पौड़ी गढ़वाल डॉ. आशीष चौहान ने लगभग 11 बजे थलीसैण के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का औचक निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का मुख्य द्वार बन्द पाया गया और अस्पताल में कोई भी कर्मचारी/चौकीदार उपस्थित नहीं पाए गए। जिलाधिकारी द्वारा स्वयं अस्पताल का गेट खोला गया। जिलाधिकारी ने अस्पताल के निरीक्षण के दौरान वहाँ सभी वार्ड व चिकित्साधिकारी के कक्ष बन्द पाये गये। वार्ड में उपयोग किये गये सीरींज आदि वेस्ट सामग्री डस्टबिन में बेतरतीन ढंग से फेंकी हुई पाई गई। साथ ही अस्पताल कार्मिकों द्वारा अस्पताल में सभी लेखन सामग्री, रजिस्टर आदि कीमती सामान बाहर ही छोड़ा गया।
जिम्मेदार चिकित्सकों द्वारा इस तरह की लापरवाही से सार्वजनिक व विभागीय परिसम्पत्ति को कोई भी क्षति पंहुच सकती है और अस्पताल के कीमती सामान की चोरी होने की भी पूर्ण सभावना है। वहीं 108 वाहन अस्पताल गेट के पास खडा था, जिसमें कोई भी कर्मचारी व वाहन चालक उपस्थित नहीं पाया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि रात्रिकाल में किसी गम्भीर रूप से बीमार व्यक्ति का इलाज करने किसी भी चिकित्सा कर्मी का उपस्थित न होना बहुत ही बड़ी लापरवाही सामने आई है।