उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मूल निवास और भू-कानून के मुद्दे को लेकर मोहित डिमरी द्वारा शुरू की गई भूख हड़ताल ने शुक्रवार को नया मोड़ ले लिया। शहीद स्मारक पर अपनी मांगों के समर्थन में धरना दे रहे डिमरी को पुलिस ने रोक दिया। पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और स्मारक पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया।
उत्तराखंड में लंबे समय से भू-कानून लागू करने और मूल निवास प्रमाणपत्र को लेकर बहस जारी है। मोहित डिमरी, जो सामाजिक कार्यकर्ता हैं, ने इस मुद्दे पर सरकार से कड़ा रुख अपनाने की मांग की। उनका कहना है कि बिना सख्त भू-कानून के राज्य के संसाधनों और जमीन पर बाहरी लोगों का कब्जा हो रहा है, जिससे स्थानीय लोगों के हितों को नुकसान पहुंच रहा है।
मोहित डिमरी ने शहीद स्मारक को अपनी भूख हड़ताल का केंद्र चुना। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह स्थानीय लोगों की भावनाओं और जरूरतों की अनदेखी कर रही है। उनका यह भी कहना है कि मूल निवास प्रमाणपत्र को लेकर राज्य में स्पष्ट नीतियां नहीं हैं, जिससे कई स्थानीय निवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शुक्रवार सुबह प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने मोहित डिमरी को शहीद स्मारक से हटाने की कोशिश की। पुलिस ने यह कदम शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया। हालांकि, इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक हुई। पुलिस ने डिमरी को हिरासत में लिया और प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए भारी संख्या में फोर्स तैनात कर दी।
डिमरी की हिरासत के बाद प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही और जनता की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।
सरकार की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि स्मारक पर शांति भंग होने की संभावना को देखते हुए यह कार्रवाई की गई। यह मुद्दा राज्य की जनता में गहरा प्रभाव डाल रहा है। कई सामाजिक संगठनों ने इस मामले पर सरकार की आलोचना की और डिमरी के समर्थन में आवाज उठाई। भू-कानून लागू करने की मांग इसलिए हो रही है ताकि राज्य की भूमि बाहरी लोगों के हाथों में न जाए और स्थानीय निवासियों को उनके अधिकारों की रक्षा मिले। इस कानून के जरिए राज्य की भूमि खरीदने और बेचने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही है।