माघ में संगम किनारे कल्पवास : कल्पवास प्रयागराज महाकुंभ में संयम, साधना और तप की त्रिवेणी का साक्षी बनेगा। योगी सरकार ने विशेष योजना के तहत कल्पवासियों के लिए व्यवस्था की है। प्रयागराज में कल्पवास की शुरुआत पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ होगी। योगी सरकार ने महाकुंभ में कल्पवासियों के लिए खास इंतजाम किए हैं। महाकुंभ अध्यात्म और संस्कृति का दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन है। यहां ज्ञान, भक्ति और साधना के विविध रंग दिखते हैं। महाकुंभ में अखाड़ों के वैभव के अलावा यहां कल्पवासियों की जप, तप और संयम की त्रिवेणी भी प्रवाहित होती है। पौष पूर्णिमा से पूरे एक महीने तक गंगा और यमुना की रेत पर तंबुओं के शिविर बनाकर ठिठुरती ठंड में साधना करने वाले कल्पवासियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
SDM महाकुंभ विवेक चतुर्वेदी बताते हैं कि इस बार लगभग 7 लाख कल्पवासियों के लिए प्रशासन ने व्यवस्था की है। कल्पवासी की उम्र और अवस्था को देखते हुए इन्हें बसाया जा रहा है। मेले के अलग-अलग सेक्टर्स में लगभग 900 बीघा जमीन में इन्हें बसाया जा रहा है। मेला क्षेत्र में मूल रूप से कल्पवास करने वाले इन श्रद्धालुओं को गंगा के तटों के पास ही शिविरों की व्यवस्था की गई है, ताकि सुबह रोज इन्हें गंगा स्नान के लिए दूर तक न चलना पड़े।
योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य, भव्य और स्वच्छ स्वरूप प्रदान करने में जुटी है। इसके लिए संपूर्ण मेला क्षेत्र में स्वच्छता के विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। एसडीएम मेला अभिनव पाठक के मुताबिक विभिन्न सेक्टर में बस रहे कल्पवासियों के शिविर में भी स्वच्छता को प्राथमिकता दी जा रही है।कल्पवासियों के शिविर में कलर कोडेड डस्टबिन रखे जाएंगे। सूखे कूड़े के लिए अलग और गीले कूड़े के लिए अलग डस्टबिन होंगे।
गंगा किनारे किसी तरह का कूड़ा जमा न हो पाए, इसलिए वहां भी डस्टबिन रखे जाएंगे। कल्पवासियों से भी अपील की जाएगी कि वे सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल शिविर में ना करें। इसके लिए सभी शिविरों के बाहर पोस्टर भी लगाए जाएंगे। माघ के जिस महीने में ये कल्पवासी गंगा के तट पर कल्पवास करते हैं, वो समय कड़ाके की ठंड का होता है। बुजुर्ग कल्पवासियों को लिए शीत लहर से बचाव हो इसके लिए भी प्रशासन कई कदम उठा रहा है। अभिनव पाठक बताते हैं कि प्रशासन कल्पवासियों के शिविर के बाहर अलाव जलाने की व्यवस्था करेगा जिससे शीत लहर से कल्पवासियों का बचाया जा सके।