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Home » अल्मोड़ा के मंदिर में झूला झूलती है दुर्गा माँ !
उत्तराखंड

अल्मोड़ा के मंदिर में झूला झूलती है दुर्गा माँ !

The Jhula Devi Temple in Ranikhet is a center of faith not only for the local hill people but also for tourists coming from all over the country.
Narad PostBy Narad PostFebruary 15, 2025No Comments3 Mins Read
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झूला देवी मंदिर
झूला देवी मंदिर
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रानीखेत में झूला देवी मंदिर पहाड़ी लोगों के लिए ही नहीं देश भर से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आस्था का केंद्र है. अल्मोड़ा जिले के चौबटिया गार्डन के निकट रानीखेत से 7 किमी की दूरी पर स्थित इस मंदिर को 1935 में बनाया गया था। झूला देवी मंदिर के समीप ही भगवान राम को समर्पित मंदिर भी है. झूला देवी मंदिर को झुला देवी मंदिर और घंटियों वाला मंदिर के रूप में भी जाना जाता है.हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण क्षेत्र में रहने वाले जंगली जानवरों द्वारा उत्पीड़न से मुक्त कराने के लिए मां दुर्गा की कृपा बनाये रखने के उद्देश्य से किया गया था. मंदिर परिसर में झुला स्थापित होने के कारण देवी को “झूला देवी” नाम से पूजा जाता है.

मां के झूला झूलने के बारे में एक और कथा प्रचलित है. माना जाता है कि एक बार श्रावण मास में माता ने किसी व्यक्ति को स्वप्न में दर्शन देकर झूला झूलने की इच्छा जताई.ग्रामीणों ने मां के लिए एक झूला तैयार कर उसमें प्रतिमा स्थापित कर दी. उसी दिन से यहां देवी मां “झूला देवी” के नाम से पूजी जाने लगी.यह कहा जाता है कि मंदिर लगभग 700 वर्ष पुराना है. चैबटिया क्षेत्र जंगली जानवर से भरा घना जंगल था. “तेंदुओं और बाघ” आसपास के लोगों पर हमला करते थे और उनके पालतू पशुओं को ले जाते थे.लोगों को “तेंदुओं और बाघ” से डर लग रहता था और खतरनाक जंगली जानवर से सुरक्षा के लिए आसपास के लोग ‘माता दुर्गा’ से प्रार्थना करते थे.

ऐसा कहा जाता है कि ‘देवी’ ने एक दिन चरवाहा को सपने में दर्शन दिए और चरवाहा से कहा कि वह एक विशेष स्थान खोदे क्योंकि देवी उस स्थान पर अपने लिए एक मंदिर बनवाना चाहती थी. जैसे ही चरवाहा ने गड्ढा खोद दिया तो चरवाहा को उस गड्ढे से देवी की मूर्ति मिली.इसके बाद ग्रामीणों ने उस जगह पर एक मंदिर का निर्माण किया और देवी की मूर्ति को स्थापित किया और इस तरह ग्रामीणों को जंगल जानवरों द्वारा उत्पीड़न से मुक्त कर दिया गया और मंदिर की स्थापना के कारण चरवाहा अपने पशुओ को घास चरने के लिए छोड़ जाते थे.मंदिर परिसर के चारों ओर लटकी हुई अनगिनत घंटियां ‘मा झुला देवी’ की दिव्य व दुख खत्म करने वाली शक्तियो को दर्शाती है.

मंदिर में विराजित झूला देवी के बारे में यह माना जाता है कि झूला देवी अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करती हैं और इच्छाओं को पूरा करने के बाद भक्त यहाँ तांबे की घंटी भेटस्वरुप चढाने आते हैं , घंटियों की मधुर ध्वनि से हर किसी का मन आनंदित हो उठता है.श्रद्धालुओं का मानना है कि मंदिर में प्रार्थना करने वाले लोगों की मनोकामनाएं मां झूला देवी पूर्ण करती हैं। यहां जाने पर आपको राम मंदिर जाने का मौका भी मिलता है, जो पास में ही स्थित है. यहां झूला देवी मंदिर में नियमित रूप से श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है.मंदिर के प्रति हिंदूओ का अत्यधिक विश्वास है, झुला देवी मंदिर उत्तराखंड में यात्रा के लिए एक लोकप्रिय स्थान है.

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