कावड़ श्रद्धालुओं के लिए पुलिस प्रशासन बना देवदूत :- हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रावण मास में करोड़ों की तादाद में कांवड़िए सुदूर- सुदूर स्थानों से आकर हरकी पैड़ी से गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर पदयात्रा कर भगवान शिव को अर्पित करने के लिए अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान कर रहें हैं।
कावड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराने की जिम्मेदारी प्रशासन के कंधों पर होती है। जिसके लिए उच्चधिकारी अनेकों प्रकार की योजनाएं तैयार करते हैं। नई-नई योजनाएं बनाकर यह सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी प्रकार की कठिनाइयां, संकट कावड़ श्रद्धालुओं के सामने उत्पन्न न हो सकें। और उन्हें धरातल पर उतरने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस प्रशासनिक कर्मचारी अधिकारियों को चुपके चुपके पर उतारा जाता है। जो कावड़ श्रद्धालुओं के लिए अवतार बनकर आते हैं और उन्हें सुरक्षित उनके गंतव्य की ओर पहुंचने का कार्य करते हैं।
चाहे कड़ी चिलचिलाती धूप हो या बारिश की तेज बौछारें उनका मनोबल नहीं तोड़ पाती है वह अपने कर्तव्य को बाखूबी निभाते हुए दिन-रात कड़ी मेहनत कर कठिन परिस्थितियों में कावड़ यात्रा को कुशल संपन्न करने के लिए डटे रहते हैं। इसी क्रम में देवदूतों की नगरी हरिद्वार में पुलिस प्रशासन डूबते को तिनके का सहारा बनकर, ज़ख्मी श्रद्धालुओं के लिए मरहम तो वही भूले भटको के लिए दिशा दिखाने वाले दिक्सूचक बन रहें हैं। साथ-साथ उनकी सेवा कर एक भावनात्मक जुड़ाव स्थापित करने में अपनी अहम भूमिका भी निभा रहे हैं।
इस अनूठे कार्य में अपनी अहम भूमिका तय करने वाले पुलिस, प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए देवदूत या अवतार शब्दों का प्रयोग करना आश्चर्यजनक नहीं होगा। वहीं इमली चौकी पुलिस भी न केवल कांवड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है बल्कि यात्रा के दौरान दिक्सूचक बनने की जिम्मेदारी भी बाखूबी निभा रही है।
इमली चौकी इंचार्ज उमेश कुमार लोधी पुलिस बल के साथ सुरक्षा की दृष्टि से व्यवस्था की निगरानी, यातायात को सुचारू रूप से चलाने, बचाव कार्यों का समन्वय व घायलों को तुरंत उपचार प्रदान करने के साथ-साथ असामाजिक तत्वों पर भी कड़ी निगाहें रख रहें हैं। उनके द्वारा अप्रिय घटना को रोकने के लिए आवश्यक कदम भी उठाएं जा रहे हैं।
कावड़ यात्रा धार्मिक आयोजन में सभी से सद्भाव बनाए रखने की अपील भी की जा रही है। उनका कहना है कि कावड़ यात्रा केवल धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि सेवा आस्था एवं समाज के सहयोग का प्रतीक भी है। श्रावण माह में कांवड़ियों की सेवा करना एक पुण्य कार्य है और यह शिवभक्तों के लिए एक जिम्मेदारी की भावना भी उजागर करता है।