हल्का चलने या बोलने पर सांस फूलना इन बिमारियों के हो सकते हैं संकेत :- अक्सर लोग मोटापा या फिटनेसी की कमी मानकर सांस फूलना जैसी चीजों को इग्नोर कर देते हैं. लेकिन ये सिर्फ थकावट नहीं बल्कि दिल, फेफड़े या खून से जुड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है. समय पर जांच और सही इलाज से बड़ी बीमारी को रोका जाजीते ग्राम प्रधानों, पंचायत सदस्यों को ट्रेंड करेगी धामी सरकार सकता है. अगर आप इसे नजरअंदाज कर देते हैं तो यह भविष्य में खतरनाक साबित हो सकता है. सांस फूलना कई अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हो सकता है- खासकर दिल, फेफड़े और खून से संबंधित बीमारियों से. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।
सांस फूलना या फिर जल्दी-जल्दी सांस लेने की परेशानी एक आम लेकिन कभी-कभी गंभीर लक्षण हो सकता है. वहीं जब फेफड़े, दिल या फिर खून में ऑक्सीजन की कमी होती है, तो शरीर को जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. जिसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है. यह दिक्कत सीढ़ियां चढ़ते टाइम, तेज चलने से हो सकती हैं. वहीं इसके कारण की बात करें तो अस्थमा, एनीमिया, हार्ट डिज़ीज़, मोटापा, फेफड़ों में संक्रमण या पैनिक अटैक जैसी स्थितियां इसके पीछे का कारण हो सकती हैं।
अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), फेफड़ों में इन्फेक्शन या फाइब्रोसिस जैसे रोग फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं. जब फेफड़े शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं दे पाते, तो सांस जल्दी चढ़ने लगती है. खासकर धूल, धुएं या ठंडी हवा में ये लक्षण और बढ़ जाते हैं।
खून में हीमोग्लोबिन की कमी से शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन कम पहुंचती है. ऐसे में थोड़ा भी चलने पर थकावट और सांस फूलने लगती है. एनीमिया पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा आम है, खासकर पीरियड्स या प्रेगनेंसी के दौरान।
हाइपोथायरायडिज्म में मेटाबॉलिज्म तेज़ हो जाता है जिससे दिल की धड़कन भी बढ़ती है और शरीर जल्दी थकने लगता है. इसके चलते हल्की गतिविधि में भी सांस फूल सकती है।
ज्यादा वजन होने से शरीर को हर छोटी गतिविधि के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इससे दिल और फेफड़ों पर दबाव बढ़ता है और जल्दी सांस चढ़ती है. वहीं, शरीर में पानी की कमी या इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलन भी थकावट और सांस की समस्या बढ़ा सकता है।