Parmarth Niketan : महापर्व छठ पूजा की परमार्थ निकेतन (Parmarth Niketan ) में दिखी रौनक :- भारतीय संस्कृति (Indian culture) , परिवार, संस्कार और प्रकृति के प्रति समर्पण का अनुपम उदाहरण, सत्संग साधना शिविर (Satsang Sadhana Camp) में गुजराज (Gujarat) से आये श्रद्धालु भी रंगे छठ के रंग में।
भगवान सूर्यदेव को प्रातःकालीन उदीयमान अघ्र्य अर्पित करते हुए तप, भक्ति और समर्पण के महापर्व छठ का दिव्य समापन हुआ। चार दिनों तक चलने वाले महान अनुष्ठान में व्रतियों और श्रद्धालुओं ने पूर्ण निष्ठा के साथ सूर्यदेव और छठी मइया का पूजन किया तथा परिवार की उन्नति, राष्ट्र की समृद्धि और संतान के स्वास्थ्य के लिए मनोकामनाएँ कीं।
यह पर्व भारतीय संस्कृति (Indian culture) की मूल के दर्शन कराता है। यह संयम, शुचिता, परिवारिक एकता और प्रकृति के प्रति आभार का पर्व है। व्रती कठोर नियमों का पालन कर सूर्योपासना और जल में खड़े होकर अघ्र्यदान करते हैं। छठ पूजा तप, त्याग, अनुशासन और आत्मबल का अद्भुत योग है।
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छठ (Chhath) केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि परिवारों में भारतीय संस्कृति और संस्कारों के रोपण का दिव्य माध्यम है। तैयारी से लेकर प्रसाद निर्माण तक पूरा परिवार एक साथ जुड़ता है, जिससे परिवार में सहयोग, एकता और आध्यात्मिक भाव स्वयं विकसित होता है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस अनुष्ठान में सहभागी बनकर परिवार में सांस्कृतिक मूल्यों का संचार करते हैं।
आज के समय में, जब परिवार विखंडन, सामाजिक दूरी और जीवन में बढ़ती मशीनरी से मानवीय संवेदनाएँ कमजोर पड़ रही हैं, तब छठ पर्व परिवारों के पुनर्मिलन का दीपक प्रज्वलित करता है। यह पर्व संदेश देता है कि परिवार ही भारतीय सभ्यता की मूल शक्ति है।छठ पूजा प्रकृति आधारित और पर्यावरण संवेदनशील पर्व है।
इसमें न मूर्तियों का प्रयोग होता है, न प्रदूषण फैलाने वाले साधनों का, न कृत्रिम सजावट की जाती है। भगवान सूर्य, जल, वायु, मिट्टी और फल-फूल केवल इन प्राकृतिक तत्वों का उपयोग कर पूजा सम्पन्न होती है। यह हमें याद दिलाता है कि प्रकृति हमें जीवन देती है और उसका आभार प्रकट करना हमारा कर्तव्य है। प्रकृति सम्मान ही सच्ची उपासना है।
छठ पर्व (Chhath Festival) माज को एक सूत्र में बाँधने का पर्व है। वहाँ जाति, वर्ग, भाषा और क्षेत्र का कोई भेद नहीं केवल आस्था का प्रकाश होता है। सूर्य ऊर्जा और जल तत्व का अद्वितीय संगम है।
छठ पूजा  (Chhath Puja) में सूर्य देव जीवन ऊर्जा, स्वास्थ्य और उन्नति के प्रतीक हैं, जबकि छठी मइया मातृत्व शक्ति, रक्षा और समृद्धि की अधिष्ठात्री है। यह अनुष्ठान संदेश देता है जहाँ सूर्य का तेज और मातृ शक्ति का आशीष हो, वहाँ जीवन सदैव उज्ज्वल रहता है। छठ पर्व हमें प्रेरित करता है कि हम केवल बाहर प्रकाश न फैलाएँ, बल्कि अपने भीतर भी आस्था, शांति और सद्भाव का सूर्य उदित करें।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती (Swami Chidanand Saraswati)  ने कहा कि जब घर-घर संस्कृति का संचार होगा तभी भारत सशक्त बनेगा।
 
									 
					