Uttarakhand News : किसानों का परिश्रम व त्याग ही हमारी सच्ची पूंजी और ताकत :- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने राज्य के रजत जयंती उत्सव के अवसर पर पंतनगर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में वृहद कृषक सम्मेलन का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम में कृषि, उद्यान, दुग्ध, मत्स्य, सहकारिता के प्रगतिशील कृषक व लखपति दीदीयों (lakhapati Didi ) को मुख्यमंत्री द्वारा प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र व अंगवस्त्र भेटकर सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आये सभी किसानों को उत्तराखंड राज्य स्थापना के रजत जयंती पर्व की हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि किसान भाईयों का परिश्रम और त्याग ही हमारी सच्ची पूंजी है और उनका पसीना हमारी ताकत है। उन्होंने उत्तराखंड निर्माण के सपने को साकार करने में अपना योगदान देने वाले और बीते 25 वर्षों में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने में अपना अतुलनीय योगदान देने वाले किसानो को भी नमन किया।
सरसों का तेल और लहसुन के फायदे
उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन केवल कृषि संबंधी योजनाओं की चर्चा हेतु एक आम कार्यकम नहीं है, बल्कि उत्तराखंड (Uttarakhand ) के हमारे सभी किसान (kisaan ) भाईयों और उनके परिवारों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का भी अवसर है। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश के संतुलित विकास के लिए यह आवश्यक है कि हमारे किसान भाइयों की परेशानियां कम हों, वे सशक्त बनें।
किसानों के सशक्तिकरण के बिना राष्ट्र का सशक्तिकरण अधूरा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकसित भारत के निर्माण का सपना भी तभी साकार हो सकता है, जब हमारा किसान विकसित हो। हम सभी जानते हैं कि भारत आदि काल से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जहां एक ओर सभी प्रमुख फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में अभूतपूर्व वृद्धि कर किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य प्रदान किया जा रहा है। वहीं, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना् के माध्यम से किसान को प्राकृतिक आपदाओं, फसल रोगों और कीटों से होने वाले नुकसान हेतु सुरक्षा कवच भी प्रदान किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के द्वारा खेतों की मिट्टी की वैज्ञानिक जांच कर किसानों को पोषक तत्त्वों की कमी और आवश्यक उर्वरकों की जानकारी भी दी जा रही है, जिससे उनकी उपज की गुणवत्ता और भूमि की उर्वरता दोनों में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में हमारी राज्य सरकार भी प्रदेश के किसानों के उत्थान एवं समृद्धि हेतु संकल्पित होकर निरंतर कार्य कर रही है।
हम एक ओर जहां प्रदेश में किसानों को तीन लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध करा रहे हैं, वहीं कृषि उपकरण खरीदेने हेतु फार्म मशीनरी बैंक योजना के माध्यम से 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी प्रदान कर रहे हैं। यहीं नहीं, हमने किसानों के हित में नहरों से सिंचाई को पूरी तरह मुफ्त करने का काम किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम किसानों की उपज की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए ग्रेडिंग-सॉर्टिंग यूनिट के निर्माण के लिए भी अनुदान प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 50 से अधिक मशरूम इकाईयां, 30 से अधिक मौनपालन इकाइयाँ, 30 कोल्ड चेन इकाइयाँ, 18 कोल्ड स्टोरेज, 5 सी.ए. स्टोरेज, 128 बड़ी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ, 1030 सूक्ष्म खाद्य उद्यम और 2 मेगा फूड पार्क स्थापित हैं।
उन्होंने कहा कि बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत प्रदेश के कृषकों को पौधशाला स्थापना, संरक्षित खेती, औद्यानिक यंत्रीकरण, तुड़ाई उपरान्त प्रबंधन व प्रसंस्करण हेतु 50 से 55 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से फलों की उत्पादकता में ढाई गुना वृद्धि हुई है, जो पहले 1.82 मैट्रिक टन प्रति हैक्टेयर थी, वह अब 4.52 मैट्रिक टन हो गई है। मशरूम उत्पादन में आज उत्तराखण्ड देश में पाँचवें स्थान पर है।
राज्य गठन के समय जहाँ मशरूम का उत्पादन मात्र 500 मैट्रिक टन उत्पादन था, वहीं आज यह बढ़कर 27,390 मैट्रिक टन हो गया है। इसी प्रकार शहद उत्पादन में भी राज्य देश में आठवें स्थान पर पहुँचा है और अब 3,320 मैट्रिक टन शहद का उत्पादन किया जा रहा है।
टी टूरिज्म को दिया जा रहा है बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने कहा कि बागवानी के समग्र विकास हेतु जापान सहयोगित उत्तराखण्ड एकीकृत औद्यानिक विकास परियोजना के तहत 526 करोड़ रुपये की बाह्य सहायतित परियोजना टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल और पिथौरागढ़ जनपदों में लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि सगंध पौधा केन्द्र द्वारा लैमनग्रास, मिन्ट, गुलाब, तेजपात, कैमोमिल जैसी फसलों को प्रोत्साहन देकर 9,500 हेक्टेयर क्षेत्र में सगंध खेती विकसित की गई है, जिससे 28,000 से अधिक कृषक 109 एरोमा क्लस्टरों के माध्यम से जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि चाय उत्पादन में भी राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है।
राज्य गठन के समय जहाँ केवल 196 हेक्टेयर में चाय की खेती होती थी, वहीं आज यह 1,585 हेक्टेयर तक विस्तृत हो चुकी है। अब प्रदेश में छः लाख किलोग्राम हरी पत्तियाँ उत्पादित हो रही हैं और लगभग डेढ़ लाख किलोग्राम प्रसंस्कृत चाय तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि टी-टूरिज्म को बढ़ावा देते हुए चम्पावत के सिलिंगटॉग, नैनीताल के श्यामखेत व घोड़ाखाल, तथा बागेश्वर के कौसानी में चाय बागानों को पर्यटन से जोड़ा गया है, जिससे स्थानीय युवाओं को नए रोजगार अवसर प्राप्त हो रहे हैं।
कृषि के क्षेत्र में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने का है हमारा प्रयास
मुख्यमंत्री ने कहा कि रजत जयंती (silver Jubilee) वर्ष में हम उत्तराखंड का किसान-उत्तराखंड (Farmer of Uttarakhand) का गौरव के संदेश के साथ एक नई शुरुआत कर रहे हैं। उन्होंने सबसे आह्वान करते हुए कहा कि आइए, हम सभी मिलकर उत्तराखंड को समृद्ध, आत्मनिर्भर और आधुनिक कृषि राज्य बनाएं।
क्योंकि आपका परिश्रम, हमारी नीतियां और केंद्र सरकार का सहयोग, यही मिलकर हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ, समृद्ध और स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करेंगे, और उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के हमारे विकल्प रहित संकल्प को पोषित करने में सार्थक सिद्ध होंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने विभिन्न स्टालो का निरीक्षण भी किया।
