उत्तराखंड राज्य ओलंपिक (Uttarakhand State Olympic) में मोहित साहू ने अपनी अद्वितीय कहानी के जरिए सभी को चौंका दिया। 300 रुपये की कबाड़ साइकिल से कांस्य पदक जीतने वाले मोहित ने यह साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। बनभूलपुरा के मोहित साहू ने एक बार फिर यह साबित किया कि अगर मन में हौसला हो, तो कोई भी काम कठिन नहीं होता। रविवार को राज्यस्तरीय स्पर्धा में भाग लेते समय मोहित उन प्रतिभागियों के साथ खड़ा हुआ, जो महंगी और आधुनिक साइकिलों पर सवार थे, जिनकी कीमत ढाई से लेकर पांच लाख रुपये तक थी। इन प्रतिभागियों के पास स्पेशल 20 से 30 हजार रुपये के जूते भी थे। फिर भी, मोहित ने अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर उन्हें पीछे छोड़ दिया।
मोहित राजकीय इंटर कालेज बनभूलपुरा में 11वीं कक्षा का छात्र है। उसके पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। बावजूद इसके, मोहित ने कभी हार नहीं मानी। बचपन में उसने घर के पास साइकिल रिपेयरिंग की दुकान में भी काम किया ताकि वह कुछ पैसे बचा सके। मोहित का सपना हमेशा खेलों में भाग लेना और सफलता हासिल करना रहा है। मोहित की खेलों के प्रति रुचि बचपन से ही थी। उसने फुटबाल, हाकी, खो-खो, और वॉलीबॉल जैसे खेलों में राज्यस्तरीय स्पर्धाओं में भी भाग लिया है और वहां भी पदक हासिल किए हैं। उसकी मेहनत और लगन ने उसे हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।
मोहित की कहानी न केवल युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत है, बल्कि यह समाज को यह संदेश भी देती है कि आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, अगर आपके मन में कुछ करने का जज़्बा हो, तो आप किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उसकी सफलता ने साबित कर दिया कि सही दिशा में की गई मेहनत और समर्पण से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। इस प्रकार, मोहित साहू की उपलब्धि ने न केवल उसके परिवार का सिर गर्व से ऊँचा किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि मेहनत का फल मीठा होता है। हम सभी को उसकी सफलता से प्रेरणा लेनी चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए।