देश में 1.53 करोड़ आवारा कुत्ते :- भारत में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके द्वारा उत्पन्न किए जा रहे स्वास्थ्य एवं सुरक्षा जोखिमों को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक व्यापक और संगठित अभियान की शुरुआत की है. यह कदम ऐसे समय पर सामने आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम में रखने का निर्देश दिया है. साथ ही पशुओं द्वारा सड़क दुर्घटनाओं और नागरिकों पर हमलों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए केंद्र ने इसे सार्वजनिक सुरक्षा और पशु कल्याण का साझा मुद्दा माना है.इस पहल के तहत केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय और मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने मिलकर एक मास्टर एक्शन प्लान तैयार किया है और सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को एक संयुक्त एडवाइजरी जारी की गई है।
एडवाइजरी में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में फिलहाल करीब 1.53 करोड़ आवारा कुत्ते मौजूद हैं. इनमें से 70% को अगले 12 महीनों के भीतर टीकाकरण और नसबंदी प्रक्रिया के दायरे में लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके अतिरिक्त, 2019 की पशु गणना के मुताबिक देश में करीब 50 लाख बेसहारा मवेशी भी हैं. इन पशुओं को भी इस अभियान के तहत शामिल किया गया है, जिससे सार्वजनिक स्थानों पर उनकी अवांछित मौजूदगी और दुर्घटनाओं को रोका जा सके.गौरतलब है कि अब तक आवारा पशुओं और कुत्तों की देखरेख शहरी निकायों और कुछ स्वयंसेवी संगठनों के भरोसे थी. लेकिन इस बार ग्राम पंचायतों को भी इस अभियान का सक्रिय हिस्सा बनाया गया है, जिससे ग्रामीण भारत में भी पशु नियंत्रण और देखभाल को व्यवस्थित रूप दिया जा सके।
इस योजना में एक अहम नवाचार के तौर पर ‘ग्रीन टैग कॉलर सिस्टम’ को लागू किया जाएगा. इसके तहत:
वैक्सीनेटेड और स्टरलाइज किए गए कुत्तों को ग्रीन कॉलर पहनाया जाएगा, जिसमें उनके उपचार और मेडिकल स्टेटस की जानकारी होगी. यह डेटा ‘पशुधन पोर्टल’ पर दर्ज किया जाएगा ताकि निगरानी और ट्रैकिंग की प्रक्रिया को तकनीकी सहायता मिले।
इसी तरह बेसहारा मवेशियों को नसबंदी के बाद उनके कानों पर हरे रंग का टैग लगाया जाएगा, जिससे नगर निगम या ग्राम पंचायत के कर्मचारियों को यह स्पष्ट जानकारी हो कि कौन-सा पशु पहले से ट्रीट किया जा चुका है और कौन अभी नहीं।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश
इस पूरे मुद्दे की पृष्ठभूमि में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ 11 अगस्त 2025 को आया जब सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन ने दिल्ली-NCR क्षेत्र से आवारा कुत्तों को 8 सप्ताह के भीतर हटाने और उन्हें विशेष शेल्टर में भेजने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ये कुत्ते दोबारा सड़कों पर न लौटें।
इस दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति, संगठन या समूह इस कार्य में बाधा उत्पन्न करता है, तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है. कोर्ट ने यह सवाल भी उठाया कि क्या पशु प्रेमी संगठनों के सदस्य उन बच्चों को वापस ला सकते हैं जो रेबीज के हमलों का शिकार हुए हैं?
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि बच्चों को रेबीज जैसी घातक बीमारी से हर हाल में बचाया जाना चाहिए.इसी तरह, राजस्थान हाई कोर्ट ने भी इसी दिन शहरी क्षेत्रों से आवारा कुत्तों और मवेशियों को हटाने का आदेश जारी किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि देश की न्यायपालिका इस विषय को अत्यंत गंभीरता से ले रही है।