हमारा शरीर कुदरत की एक बेमिसाल कृति है. इसके हर अंग बहुत खास तरह से काम करते हैं जो उन्हें बाकी जानवरों से कई लिहाज से ना केवल अलग बनाता है बल्कि इंसान के बुद्धिमान जीव के तौर पर भी स्थापित करता है. हमारे शरीर के अंगों कि इतनी जटिलताएं हैं कि आम आदमी के लिए पूरे शरीर को समझना ही संभव है. इसीलिए इनके बारे में हमारे डॉक्टर ही अच्छे से समझ पाते हैं, जिन्होंने शरीर विज्ञान का अच्छे से अध्ययन किया है. इन अंगों में हमारे कान भी शामिल हैं. आइए, कान के बारे में कुछ अनोखी बातें जानते हैं, जिन्हें आम लोग नहीं जानते हैं.
सबको नहीं होती है पूरी जानकारी
कान के बारे में ये अनोखी बातें डॉ करण राजन ने बताई हैं. उन्होंने अपनी किताब “यह पुस्तक आपकी जान बचा सकती है” में लाइफस्टाइल के विकल्पों और पूरी सेहत पर पड़ने वाले उनके असर पर ध्यान खींचा है. किताब में शारीरिक, मानसिक और सलाहों को संग्रह है, जो एक तरह से गाइड का काम करता है. पुस्तक के 7वें अध्याय में उन्होंने कान के बारे में ऐसी बातें बताई हैं, जिनका या तो सबको पता नहीं होता है या फिर गलतफहमी ही होती है.
कुछ मांसपेशियों का उपयोग
आज भी हमारे कान में कुछ ऐसी मांसपेशियां हैं जिनका उपयोग नहीं होता है. लेकिन कम लोग जानते हैं कि इनका उपयोग हमारे पूर्वज किया करते थे. बल्कि आज भी कई लोग ऐसे देखे जाते हैं. जो चाह कर अपने बाहरी कान को हिला सकते हैं. बाहरी कान भले ही हमें देखने में काम का ना लगे, लेकिन यह कई दिशाओं से आवाज को पकड़ने में मददगार होता है.
कान का संतुलन से गहरा नाता
अगर आपको लगता है कि कान का काम केवल सुनना तो आप गलत हैं. अधिकांश लोग यह बात नहीं जानते हैं कि हमारे कान सुनने के अलावा हमारे शरीर को संतुलन में खड़ा रखने में भी अहम भूमिका निभाता है इसे वेस्टिबुलर फंक्शन कहते हैं. अगर आपको चक्कर आते हैं और सीधे खड़े रहने में परेशानी होती है तो इसका एक कारण कान में किसी तरह की गड़बड़ी हो सकती है.
क्या कान भी करते हैं शोर?
कान भी निकालते हैं आवाज, डॉ करन राजन कहते हैं कि कान की एक बड़ी विचित्रता ये है कि कान शोर भी करते हैं. जी हां 70 फीसदी लोगों के कान शोऱ करते हैं. इसे ऑटो कॉस्मेटिक एमिशन कहते हैं. यह आंतरिक कान का सामान्य काम है. बस इस शोर को हम इंसान नहीं सुन सकते हैं.लेकिन यह आवाज आसपास के जानवरों को प्रभावित कर सकती है.
आवाज को सुनते नहीं छूते हैं कान !
हमारे शरीर की पांच इंद्रियों को पास खास रिसेप्टर्स होते हैं. आंख के पास देखने के लिए, त्वचा के पास के छूने के लिए, जीभ का पास स्वाद के लिए, नाक के पास सूंघने के लिए विशेष रिसेप्टर होते हैं. पर कान के पास सुनने के लिए कौन का रिस्पेटर होता है? डॉ राजन का कहना है कि कान सुनने के लिए मैकेनो रिसेप्टर का ही उपयोग करते हैं. यही रिसेप्टर छूने के एहसास में काम आते हैं. लेकिन कान में ये दूसरे तरीके से काम करते हैं.