उत्तराखंड विधानसभा बजट सत्र हंगामे के साथ शुरू हुआ : उत्तराखंड विधानसभा बजट सत्र का पहला दिन हंगामे के साथ खत्म हुआ तो वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्यपाल गुरमीत सिंह के अभिभाषण को सरकार का रोड मैप बताया है और सदन में हुए हंगामे पर टिप्पणी की है. उनका कहना है कि सदन में जो हंगामा हुआ है, वो हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है.उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन सदन में राज्यपाल का अभिभाषण हुआ. इसी बीच विपक्ष के कुछ विधायकों ने हंगामा भी किया. विपक्षी विधायक मदन बिष्ट और कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बीच नोंकझोंक भी देखने को मिली. मुख्यमंत्री धामी और अन्य लोगों द्वारा बीच-बचाव करते हुए मामले को शांत किया गया. इसके बाद सदन की कार्रवाई बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. सदन शुरू होने से लेकर सदन के भीतर तक लगातार विपक्ष सदन की अवधि बढ़ाने को लेकर मांग करता रहा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज का बजट सत्र राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू हुआ है. राज्यपाल का अभिभाषण हमारी सरकार का रोड मैप है और सरकार इसे प्राथमिकता में रखते हुए अपने विकास कार्यों को आगे बढ़ाएगी. उन्होंने सदन में भू कानून का विधेयक लाने पर कहा कि राज्य गठन के बाद यह 25वां वर्ष प्रदेश का रजत जयंती वर्ष है और सरकार रजत जयंती के वर्ष में नवाचार और नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ेगी. भाजपा सरकार प्रदेश की भावनाओं के अनुरूप सभी कार्य करेगी. भू कानून भी इसमें से एक है।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि उत्तराखंड में हाल ही में राष्ट्रीय खेल सफलतापूर्वक संपन्न हुए हैं. उत्तराखंड पूरे देश और दुनिया के अंदर देश की आजादी के बाद ऐसे राज्य के रूप में स्थापित हुआ है, जहां पर रहने वाले सभी राज्यों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट के रूप में एक समान कानून लागू हुआ है. इसके अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की तमाम उपलब्धियों को गिनाया और कहा कि इसी संकल्प के साथ उत्तराखंड राज्य आगे बढ़ेगा. साथ ही प्रदेश की विकास यात्रा को अनवरत रूप से चलाने के लिए इस बजट में कई नए प्रावधान किये गए हैं।
राज्यपाल गुरमीत सिंह के अभिभाषण के दौरान विपक्ष द्वारा किए गए हंगामें पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. सदन में मौजूद सभी 70 विधायकों की यह जिम्मेदारी है कि वह प्रदेश के विकास कार्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें. सदन सही तरीके से चले यह पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी होती है. सदन के अंदर हंगामा करना हमारा आचरण और संस्कृति नहीं है. उन्होंने कहा कि सदन के भीतर हमारी महिला विधायकें हैं. ऐसे में वहां पर किसी तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग करना और कोई भी असंभव काम करना हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है।