पुलिस क्यों मारती है पैरों में गोली: उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले कुछ सालों से अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ शुरू किया है, जिसके तहत पुलिस भागते हुए अपराधियों के पैरों में गोली मारती है। इस ऑपरेशन के अंतर्गत होने वाली कार्रवाइयों को लेकर कई बार सवाल उठे हैं, लेकिन अब उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीएसपी और एनकाउंटर विशेषज्ञ अविनाश मिश्रा ने इस पर मीडिया से अपने विचार साझा किए और कई महत्वपूर्ण पहलुओं का खुलासा किया है।
‘ऑपरेशन लंगड़ा’ के तहत, उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपराधियों का पीछा करते हुए उन्हें पकड़ने के लिए पैरों में गोली मारने की रणनीति अपनाई है। इस संदर्भ में अविनाश मिश्रा ने मीडिया ’ से बात करते हुए कहा कि यह तरीका विशेष रूप से इस कारण अपनाया जाता है क्योंकि ट्रेनिंग में पुलिसकर्मियों को यही सिखाया जाता है। उनका कहना था, “मानव अधिकार भी यही कहता है कि पहले अपराधी के पैर में गोली मारनी चाहिए, और जब पैर में गोली मारने से काम चल रहा है तो ऊपर क्यों बढ़ें?”
अविनाश मिश्रा ने बताया कि जब तक पैरों में गोली मारने से काम चल सकता है, तब तक इसका उपयोग किया जाता है। अगर इस पर भी मामला न बने, तो पुलिस ऊपर के हिस्से में भी गोली चला सकती है। इस तरीके का इस्तेमाल खासकर तब किया जाता है जब अपराधी भागने की कोशिश कर रहे होते हैं और उनके पास हथियार होते हैं। पैर में गोली मारने से अपराधी की गति रुक जाती है, जिससे उन्हें पकड़ा जा सकता है और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
अविनाश मिश्रा ने उत्तर प्रदेश में एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) के गठन को लेकर भी खुलासा किया। उन्होंने बताया कि यूपी में एसटीएफ केवल श्री प्रकाश शुक्ला जैसे एक व्यक्ति के लिए नहीं बनाई गई थी, बल्कि इसका उद्देश्य कई संगठित अपराधी गिरोहों का मुकाबला करना था। उस समय तक गैंग का सफाया धीरे-धीरे हो रहा था, लेकिन जब राजनीति के कारण इन गिरोहों का प्रभाव बढ़ा, तो एसटीएफ को इस तरह से डिज़ाइन किया गया था कि यह गिरोहों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर सके। अविनाश मिश्रा ने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध अब खत्म हो चुका है। पहले जो गैंग्स सक्रिय थे, वे अब अपने-अपने व्यावसायिक कार्यों में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा, “अब इन गिरोहों का प्रभाव राजनीति से बाहर जाकर कॉमर्शियल हो गया है। सभी अब अपने-अपने काम-धंधों में व्यस्त हैं, और राजनीति में भी कुछ लोग सक्रिय हो गए हैं।”
हालांकि, ऑपरेशन लंगड़ा और पुलिस की अन्य कार्रवाइयों पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि पुलिस द्वारा पैरों में गोली मारने से कई बार न्याय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप हो सकता है। वहीं, कुछ लोग इसे पुलिस के अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं। लेकिन अविनाश मिश्रा का कहना है कि पुलिस को यह रणनीति ट्रेनिंग में सिखाई जाती है और यह मानवीय अधिकारों के तहत सही है