घर पास आते ही क्यों यूरिन कंट्रोल करना हो जाता है मुश्किल? :- आपने कई बार अनुभव किया होगा पूरे रास्ते यूरिन कंट्रोल में रहती है, लेकिन जैसे ही आप घर के पास पहुंचते हैं, अचानक बहुत तेज प्रेशर महसूस होने लगता है. यह इतना अधिक होता है कि दरवाज़ा खोलने तक की देर बर्दाश्त नहीं होती. आश्चर्य की बात यह है कि यह अनुभव लगभग हर किसी के साथ होता है और यह कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक सामान्य और साइंटिफिक प्रक्रिया है।
असल में, यह हमारे दिमाग और मूत्राशय (ब्लैडर) के बीच के तालमेल का परिणाम है।. जब हम घर से बाहर होते हैं और यूरिन करने की आवश्यकता महसूस होती है, तब हमारा दिमाग ब्लैडर को यह संकेत देता है कि अभी समय या जगह उचित नहीं है, इसलिए यूरिन को रोका जाए. यह दिमाग और शरीर के बीच का एक आत्म-नियंत्रण तंत्र है जो पूरी तरह स्वाभाविक है।
दिमाग और ब्लैडर के बीच का तालमेल
लेकिन जैसे-जैसे हम अपने घर के पास पहुंचते हैं, दिमाग को यह आभास होने लगता है कि अब एक सुरक्षित और आरामदायक स्थान मिल चुका है. इसी के साथ दिमाग की सजगता थोड़ी कम हो जाती है और वह ब्लैडर को छूट देना शुरू कर देता है. यही कारण है कि जैसे ही हम अपने घर की दहलीज के करीब पहुंचते हैं, ब्लैडर अचानक अधिक सक्रिय हो जाता है और यूरिन का प्रेशर तेजी से बढ़ने लगता है।
यह स्थिति तब और तेज हो जाती है जब आप घर का दरवाजा खोलने की कोशिश करते हैं. क्योंकि दिमाग को यह संकेत मिल चुका होता है कि अब बाथरूम बिल्कुल नज़दीक है, वह कंट्रोल छोड़ने लगता है. इसी वजह से कई लोगों को ऐसा लगता है कि वो घर पहुंचते ही यूरिन कंट्रोल नहीं कर पाएंगे।
पैव्लोवियन रिस्पॉन्स
इस पूरी प्रक्रिया को “पावलोवियन रिस्पॉन्स” भी कहा जा सकता है, जिसमें किसी विशेष परिस्थिति या स्थान के साथ दिमाग एक आदत विकसित कर लेता है. रोज़ाना के अनुभवों से दिमाग यह पैटर्न सीख जाता है कि घर पहुंचने का मतलब है, बाथरूम जाना. यही कारण है कि यह एहसास रोज़-रोज दोहराया जाता है और समय के साथ यह प्रतिक्रिया तेज़ होती जाती है।