नंदी की रहस्यमयी मूर्ति कलयुग के अंत में हो जाएगी जीवित: भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। यहां अनेक प्राचीन मंदिर है, जिनमें से कुछ के साथ चमत्कारी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। ऐसा ही एक मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले मे स्थित है। यह भगवान शिव का मंदिर है, जिसे यांगती मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां स्थित नंदी की प्रतिमा है, जिसका आकार लगातार बढ़ रहा है। आगे जानिए इस मंदिर की रहस्यमयी नंदी प्रतिमा से जुड़ी रोचक बातें…
क्या है नंदी प्रतिमा का रहस्य?
यागंती शिव मंदिर में नंदी की जो प्रतिमा स्थापित है, उसका आकार लगातार बढ़ता जा रहा है, ऐसा स्थानीय लोगों का दावा है। कहते हैं कि वैज्ञानिकों ने भी यहां आकर इस नंदी प्रतिमा पर शोध किया, लेकिन वे भी इसके रहस्य को समझ नहीं पाए। कुछ लोग इसे दैवीय चमत्कार मानते हैं तो कुछ लोग इसे प्राकृतिक घटना। ऐसा भी कहा जाता है कि कलयुग के अंत में नंदी की ये प्रतिमा जीवित हो जाएगी। इन मान्यताओं के चलते दूर-दूर से लोग इस मंदिर में नंदी प्रतिमा के दर्शन करने आते हैं।
क्या है यागंती मंदिर का इतिहास?
वैसे तो ये मंदिर काफी पुराना है लेकिन वर्तमान में मंदिर का जो स्ट्रक्चर है वह 15वीं शताब्दी का बताया जाता है। इसका निर्माण विजयनगर राज्य के राजा हरिहर बुक्का ने करवाया था। मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा अर्धनारीश्वर रूप में स्थापित है। खास बात ये है कि इस मूर्ति को एक ही पत्थर से तराशकर बनाया गया है। मंदिर के पास ही पुष्करिणी नामक एक झरना है, जो साल भर बहता रहता है। इस झरने में पानी कहां से आता है, ये कोई नहीं जानता। मान्यता है कि मंदिर में प्रवेश से पहले इस पवित्र जल में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।
क्या है यांगती मंदिर से जुड़ी कथा?
यांगती मंदिर से जुड़ी एक कथा है। उसके अनुसार, ऋषि अगस्त्य यहां भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति स्थापित करना चाहते थे लेकिन मूर्ति खंडित हो जाने के कारण वे ऐसा नहीं कर पाए। तब अगस्त्य ऋषि महादेव की तपस्या में लीन हो गए। प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें यहां अपना मंदिर बनाने का आशीर्वाद दिया। इसके बाद ऋषि अगस्त्य ने यांगती मंदिर का निर्माण करवाया।