उत्तराखंड में उल्लुओं के शिकार पर रोक : हिंदू परंपरा में उल्लू की पूजा की जातीहै। इसे धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। दिवाली के दौरान उल्लुओं को जान का खतरा होता है। कुछ लोग मानते हैं कि उल्लू की बलि देने से देवी लक्ष्मी खुश होती हैं और इससे परिवार में समृद्धि आती है। इसे देखते हुए उत्तराखंड में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारी चौकन्ने हैं। अधिकारियों की तरफ से कहा गया है कि अगर कोई शख्स उल्लू का शिकार करता है या उसकी खरीद फरोख्त करता पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
तंत्र विद्या में उल्लू के सिर, पंजे, पंख और हड्डियों का खास तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। तांत्रिक पूजा-पाठ करने वाले लोगों में उल्लू की मांग बहुत ज्यादा है। वहीं, कॉर्बेट के अधिकारियों का कहना है कि वो उल्लुओं का शिकार रोकने के लिए पूरी तरह से चाक चौबंद हैं।कॉर्बेट टाइगर रिजर्व निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने कहा ज्यादातर ये देखा गया है कि दिवाली के आस-पास जो उल्लू है उनका शिकार और उनका जो व्यापार होता है जो कि दोनों चीजें अवैध हैं वो चीज बढ़ जाती हैं।
तो इसी चीज को ध्यान में रखते हुए एक स्पेशल अलर्ट जो मुख्य वन्यजीव वार्डन, उत्तराखंड हैं उनके द्वारा और हमारे द्वारा पूरे फील्ड स्टाफ को दे दिया गया है। उसमें कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आस-पास वाले क्षेत्र जो हैं उन सब पर निगाह रखी जाएगी यदि कोई ऐसा प्रकरण सामने आता है जिसमें उल्लुओं का शिकार या व्यापार का प्रकरण सामने आता है तो उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम है उसके अंतर्गत की जाएगी।