धामी मंत्रिमंडल विस्तार 2027 उत्तराखंड की राजनीति में आएगा बड़ा मोड़ : नारद पोस्ट एक्सक्लूसिव, किसकी होगी एंट्री ? कौन बनेगा मंत्री ? पूर्व मुख्यमंत्रियों की कितना सुनेगा दिल्ली दरबार ? किसके लिए शुभ होगा मंत्रिमंडल विस्तार ? त्रिवेंद्र , तीरथ और मदन या फिर बलूनी निशंक की परिक्रमा करने वाले विधायक लेंगे शपथ ? अंदरखाने खबर है कि निकाय चुनाव नतीजे अपने पक्ष में करने के बाद सीएम धामी कई विधायकों और पार्टी नेताओं को गुड न्यूज़ देंगे जिसकी कटनी छटनी और जुगाड़ जुगत के बाद फ़ाइनल लिस्ट दिल्ली दरबार से भी पास करा ली गयी है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि बीते दिनों पीएम मोदी के सामने भी सीएम धामी ने कैबिनेट मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड और अपनी बनाई लिस्ट दोनों पेश की थी जिसके बाद केंद्रीय संगठन से भी सहमति ले ली गयी है। सूत्र मान रहे हैं कि यूसीसी लागू करने के साथ ही प्रदेश को एकदम नई कैबिनेट बदली हुई सूरत में नज़र आ सकती है। जिसमें लगभग 4 से 5 नए चेहरे आपको नज़र आ सकते हैं।
सीएम धामी की नज़र 2027 जीतने पर
दरअसल जानकार मंत्रिमंडल विस्तार को 2027 से भी जोड़ कर देख रहे हैं क्योंकि सीएम अपनी इस पारी में भी रिकॉर्ड कामयाबियों के साथ आगामी चुनाव में खुद को अव्वल साबित करना चाहेंगे। ऐसे में अब आप सोच रहे होंगे कि नए विधायक कैबिनेट में एंट्री करेंगे तो किसी किसी एग्जिट होने जा रही है तो पार्टी मुख्यालय के हवाओं को समझे और कार्यकर्ताओं की गपशप के लब्बोलुआब को समझे तो 2 से 3 मौजूदा मंत्री सम्मानजनक रूप से पार्टी संगठन या अन्यत्र शिफ्ट किये जा सकते हैं और कुछ की छुट्टी भी तय मानी जा रही है। जिसके बाद पहाड़ के विधायकों की लॉटरी लग सकती है जो सीएम धामी के भरोसेमंद भी बताये जा रहे हैं। ऐसे में देहरादून जिले के आसपार के विधायक जो मंत्रिपद का लुत्फ़ ले रहे हैं उन्हें झटका लगने की संभावना सबसे प्रबल मानी जा रही है। वहीँ उत्तराखंड में कई प्रमुख आयोगों के अध्यक्ष पदों पर रिक्तियां बनी हुई हैं, जो आगामी दिनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भरी जा सकती हैं।
आयोगों के अध्यक्षों का कार्यकाल समाप्त
राज्य में निकाय चुनाव के बाद मुख्यमंत्री धामी सरकार इन रिक्तियों को भरने और विभिन्न आयोगों के दायित्वों का वितरण करने की योजना बना सकती है।बता दें कि राज्य के विभिन्न आयोगों में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इनमें से उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग और महिला आयोग के अध्यक्षों की कुर्सी इस सप्ताह खाली हो गई है। इन आयोगों के अध्यक्षों का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, और अब नई नियुक्तियों की आवश्यकता है। इसके अलावा, श्रीबदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है। लिहाज़ा पार्टी के दिग्गज नेता भी दायित्व पाने के लिए सीएम दरबार से दिल्ली तक दौड़ लगते नज़र आ रहे हैं।
उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग की अध्यक्ष पद की स्थिति
वहीँ बात करें खाली पदों की तो राज्य के अल्पसंख्यक आयोग को तो लम्बे समय से नए मुखिया का इंतज़ार है क्योंकि ये पद पिछले एक साल से खाली पड़ा है। राज्य सरकार ने 2023 के दिसंबर महीने में इस आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की है, जिससे आयोग का कार्य प्रभावित हो रहा है। इसके साथ ही आयोग के दो उपाध्यक्षों की कुर्सी भी खाली पड़ी है। उपाध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह का कार्यकाल अप्रैल 2024 में और उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब का कार्यकाल सितंबर 2024 में समाप्त हो गया था।
मुख्यमंत्री धामी का दायित्व वितरण
निकाय चुनाव के बाद जब चुनाव आचार संहिता समाप्त हो जाएगी, तब मुख्यमंत्री धामी सरकार इन रिक्त पदों की नियुक्ति पर विचार कर सकती है। राज्य महिला आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग और श्रीबदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष पदों के लिए भी नई नियुक्तियां संभव हैं। इन नियुक्तियों के लिए प्रदेश सरकार विभिन्न नामों पर विचार कर रही है और जल्द ही इन पदों पर दायित्वों का वितरण किया जा सकता है। इन आयोगों में रिक्त पदों के कारण उनकी कार्यप्रणाली में रुकावटें आ रही हैं। खासकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग और महिला आयोग, जो समाज के कमजोर वर्गों के लिए महत्वपूर्ण कार्य करते हैं, उनकी सक्रियता और निर्णय क्षमता पर असर पड़ा है। ऐसे में नई नियुक्तियां इन आयोगों को फिर से सक्रिय करने के लिए आवश्यक हैं।