गोल्ड 3 लाख, सिल्वर 2 लाख इन ऊंची कीमतों के पीछे छिपी है साजिश : राष्ट्रीय खेलों और उत्तराखंड की छवि को नुकसान पहुंचा, गोल्ड मेडल 3 लाख में बेचा – कांग्रेस ने साधा निशाना, उत्तराखंड 38वें राष्ट्रीय खेलों में फिक्सिंग का बड़ा मामला सामने आया है जिसको लेकर उत्तराखंड कांग्रेस ने आयोजन पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि आज जिस तरह का हाल राष्ट्रीय खेलो में दिख रहा है वह न सिर्फ राष्ट्रीय खेलों पर बल्कि खिलाड़ियों के भविष्य पर भी खतरा है।गरिमा ने कहा कि ताइक्वांडो में गोल्ड मेडल 3 लाख में बेचा जा रहा था, जिस पर इंडियन ओलंपिक्स एसोसिएशन ने सख्त एक्शन लिया तो है परंतु इससे राष्ट्रीय खेलों पर और उसकी पारदर्शिता पर कई सवाल उठते हैं।
गोल्ड 3 लाख , सिल्वर 2 लाख और ब्रॉन्ज 1 लाख में
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा ने बताया कि यह मामला खेलों के शुरू होने से ठीक पहले उजागर हुआ, जिसके चलते प्रवीण कुमार को उनके पद से हटाकर दिनेश कुमार को नया डायरेक्टर ऑफ कंपटीशन नियुक्त किया गया है। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने इसको लेकर प्रवीण कुमार की कड़ी निंदा की है।गरिमा ने कहा कि 38वें राष्ट्रीय खेलों में ताइक्वांडो प्रतियोगिता हल्द्वानी में आयोजित हो रही है, लेकिन इसके शुरू होने से पहले ही मैच फिक्सिंग और मेडल की खरीद-फरोख्त के आरोप सामने आए। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की GTCC समिति ने इस मामले की जांच की और पाया कि कुछ अधिकारी पहले से ही मेडल के नतीजे तय करने में शामिल थे। गोल्ड मेडल के लिए 3 लाख रुपये, सिल्वर मेडल के लिए 2 लाख रुपये और ब्रॉन्ज मेडल के लिए 1 लाख रुपये की मांग की जा रही थी।
कांग्रेस यह भी सामने आया कि उन्होंने खेलों के स्वयंसेवकों के चयन में हेरफेर किया था और कुछ राज्य संघों के पदाधिकारियों तथा उपकरण विक्रेताओं को अनुचित रूप से नामित किया था। भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने भी इस मामले पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “हम सभी खिलाड़ियों के लिए निष्पक्षता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह बेहद चौंकाने वाला और दुखद है कि राष्ट्रीय खेलों के मेडल्स की सौदेबाजी पहले ही की जा रही थी। इंडियन ओलिंपिक संघ किसी भी तरह की हेरफेर या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगा और जो भी इसमें दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.”गरिमा ने कहा कि पीटी उषा के इस बयान के बाद भी क्या उत्तराखंड की खेल मंत्री डिनायल मोड पर रहेगी और जिस तरह से उन्होंने अल्मोड़ा अस्पताल में भर्ती किए गए खिलाड़ियों की संख्या से इनकार किया, क्या अभी भी खेल मंत्री रेखा आर्य यही कहेंगी कि राष्ट्रीय खेलों की व्यवस्था चाक चौबंद है और कोई भ्रष्टाचार नहीं हो रहा।
क्योंकि जांच में यह भी सामने आया कि भारतीय ताइक्वांडो महासंघ के कुछ अधिकारी 16 भार वर्गों में से 10 में पहले ही नतीजे तय कर चुके थे ,यानी इन मुकाबलों में खिलाड़ियों की मेहनत से ज्यादा पैसे का असर पड़ रहा था। इंडियन ओलिंपिक संघ के मुताबिक, ताइक्वांडो की कुल 16 क्योरूगी और 10 पूमसे प्रतियोगिताएं 4 से 8 फरवरी तक हल्द्वानी में होनी हैं। लेकिन इन प्रतियोगिताओं के नतीजे पहले ही तय कर दिए गए थे, जिससे पूरे आयोजन की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे।