‘अंधक’ ने क्यों की अपनी ही माँ पार्वती से विवाह की ज़िद : भगवान शिव और माता पार्वती का पुत्र था ‘अंधक’ , जिसे अंधकासुर के नाम से भी जाना जाता है। अंधक का जन्म भगवान शिव के तीसरे नेत्र से निकली ऊर्जा से हुआ था। अंधक को भगवान शिव ने अपने भक्त को गोद दे दिया था। एक राक्षस कुल में हुई परवरिश के कारण अंधक की प्रवृत्ति अंहकारी हो गई थी। अपना ही पुत्र ‘अंधक’ कर बैठा देवी पार्वती से विवाह करने की हठ, जिसके कारण भगवान शिव को अपने ही पुत्र ‘अंधक’ का वध करना पड़ा । क्या आप भगवान शिव के तीसरे पुत्र अंधक के बारे में जानते हैं? अगर नहीं, तो आज हम आपको बता रहे हैं भगवान शिव के पुत्र अंधक के बारे में। जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। अंधक ने कोई ऐसा पाप कर दिया था, जिसके कारण भगवान शिव को अपने ही पुत्र अंधक का वध करना पड़ा था।
महादेव और देवी पार्वती से जन्मा था अंधक
शिव पुराण में, जब शिव मंदरा पर्वत पर ध्यान कर रहे थे, तो पार्वती चंचल मूड में थीं और उन्होंने शिव की आँखों को ढक दिया। देवी के ऐसा करते ही समस्त पृथ्वी, ब्रह्मांड में अंधकार छा गया। पूरी पृथ्वी और ब्रह्मांड में अंधेरा हो गया। तब शिव ने संसार को अंधकार से बचाने के लिए अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। इस तीसरे नेत्र से असीम ऊर्जा निकली, जिससे कि देवी पार्वती को पसीना आ गया, वह ज़मीन पर गिर गया और एक भयानक दिखने वाला और अंधा लड़का पैदा हुआ। उसे देखकर पार्वती घबरा गईं, लेकिन शिव ने उन्हें डांटा और कहा कि चूँकि वह उनके शारीरिक संपर्क के कारण पैदा हुआ था, इसलिए वह उनका बच्चा है। इस बालक को अंधकार में उत्पन्न होने के कारण ‘अंधक’ नाम मिला।
जब राक्षस राजा हिरण्याक्ष ने संतान प्राप्ति के लिए शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की, तो भगवान शिव ने उसे बालक ‘अंधक’ को भेंट कर दिया। अंधक दैत्यों के बीच बड़ा हुआ और बाद में दैत्य राजा बना। समय बीतने के साथ ही अंधक ने अपने साहस और पराक्रम से पूरे संसार पर अपना अधिकार कर लिया।अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए अंधक ने ब्रह्मा जी की कड़ी तपस्या की और अमर होने का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्मा जी ने इस वरदान को सृष्टि के नियम के विरुद्ध बताया। तब अंधक ने अपनी मृत्यु का ऐसा कठिन मार्ग चुना, जिसे सोचकर अंधक को लगा कि यह होना असंभव है। अंधक अपने जैविक माता-पिता के बारे में नहीं जानता था इसलिए उसने कहा कि यदि अगर वो कभी अपनी माता को कृदृष्टि से देखता है, तो उसके पिता के हाथों उसका वध होगा।
इस प्रकार अंधक ने डाली माता पार्वती पर बुरी नज़र
अंधक तीनों लोगों पर विजय पा चुका था। अब उसे अकेलापन खलने लगा। ऐसे में उसके मन में विवाह का विचार आया। अंधक ने सोचा कि वो संसार की सबसे सुंदर स्त्री से ही विवाह करेगा। एक दिन अंधक को पता चला कि संसार की सबसे सुंदर स्त्री कैलाश में भगवान शिव के साथ रहती हैं। अंधक के मन में देवी पार्वती से विवाह करने की इच्छा जागी। अंधक को सलाह दी गई कि अगर वह वास्तव में अतुलनीय बनना चाहता है, तो उसे पार्वती को अपने पास रखना चाहिए। अंधक ने शिव के पास एक दूत भेजा और अपनी पत्नी को सौंपने की मांग की। अंधक ने अपने सबसे बड़े योद्धाओं के साथ शिव पर हमला किया, लेकिन वे शिव की सेना से हार गए। एक दिन जब शिव वन में तपस्या कर रहे थे, तब अंधक ने मंदार पर्वत पर आक्रमण करने का विचार किया। देवताओं और दानवों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंधक छल-बल से देवी पार्वती को उठा लाया। देवी पार्वती की पुकार सुनकर शिव बहुत क्रोधित हुए। शिव ने बताया कि देवी पार्वती अंधक की माता है लेकिन अंधक को शिव जी की बातों पर विश्वास नहीं हुआ और पार्वती जी से विवाह करने की इच्छा उसके मन में बनी रही। तब भगवान शिव ने त्रिशूल से अंधक का वध कर दिया।