सेंट्रल जेल में फिल्मों का मज़ा ले रहे कैदी: सुधार का मतलब केवल सजा काटना नहीं, बल्कि जीवन में बदलाव की ओर बढ़ना है। इसी सोच को हकीकत में बदलते हुए रायपुर सेंट्रल जेल में बंद कैदियों के लिए एक अनूठी और सराहनीय पहल की गई है। अब जेल परिसर में एक नया सिनेमा हॉल (Modern Cinema Hall) खोला गया है, जहां कैदियों को हफ्ते में निश्चित समय पर देशभक्ति और प्रेरणादायक फिल्में (Patriotic & Inspirational Films) दिखाई जा रही हैं।
फिल्म देखने का अनुभव किसी मल्टीप्लेक्स से कम नहीं
इस सिनेमा हॉल में प्रोजेक्टर स्क्रीन (Projector Screen), साउंड सिस्टम (Sound System) और आरामदायक बैठने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे कैदियों को फिल्म देखने का अनुभव किसी मल्टीप्लेक्स से कम नहीं है। जेल प्रशासन का कहना है कि यह पहल कैदियों के मानसिक पुनर्वास (Mental Rehabilitation) की दिशा में एक बड़ा और सकारात्मक प्रयास है।
सदाचार, आत्मसम्मान और राष्ट्रप्रेम से जुड़ी फिल्में दिखाई जा रही
फिल्मों के चयन को लेकर भी जेल प्रशासन सतर्क है। जेल अधीक्षक (Jail Superintendent) द्वारा विशेष रूप से ऐसी फिल्में और शॉर्ट फिल्में चुनी जाती हैं, जो जीवन मूल्यों, सदाचार, आत्मसम्मान और राष्ट्रप्रेम से जुड़ी हों। इससे कैदियों को सोचने का नया नजरिया मिलता है और वे अपने अंदर बदलाव लाने के लिए प्रेरित होते हैं।इस पहल से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि फिल्में केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि एक सशक्त माध्यम (Powerful Medium) हैं, जिससे लोगों के विचार और व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। विशेषकर वे कैदी जो लंबे समय से समाज से कटे हुए हैं, उनके लिए यह एक भावनात्मक जुड़ाव का जरिया बन रहा है।