आस्था और संस्कृति का प्रतीक हैं अद्भुत बेल्हा देवी शक्तिपीठ :- शक्ति के कई रूप हैं उनके अनगिनत पीठ हैं और करोड़ों करोंड भक्तों की मन्नते नारियल चढाने से पूरी हो जाती है। कुछ ऐसा ही है वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि पर्व …. ये वो अवसर होता है जब मां दुर्गा के 9 रूपों की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि नवरात्र में मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से जीवन के सभी दुख-संकट दूर होते हैं .नवरात्रि के पावन दिनों में प्रतापगढ़ का बेल्हा देवी मंदिर विशेष महत्व रखता है।
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कहा जाता है कि यहां मां की विशेष कृपा मिलती है और नवरात्रि के दौरान यहां दर्शन करना बेहद शुभ होता है. सुबह 4 बजे से ही भक्तों की लंबी लंबी कतारें लग जाती हैं और 4 से 5 घंटे तक माता के दर्शन करने में समय लग जाता है. आजकल प्रतिदिन 5 से 7 हजार भक्त प्रतिदिन दर्शन कर रहे हैं।
प्रतापगढ़ की धार्मिक पहचान में बेल्हा देवी मंदिर का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. सई नदी के तट पर स्थित यह मंदिर सदियों से शक्ति उपासना का केंद्र बना हुआ है. यहां रोजाना हजारों भक्त मां के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएं लेकर लौटते हैं. यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण अवध के राजा प्रताप बहादुर सिंह ने 1811 से 1815 के बीच कराया था. उस समय प्रतापगढ़ अवध राज्य का हिस्सा था और मंदिर को शाही संरक्षण प्राप्त था. साई नदी के किनारे स्थित इस पवित्र स्थल ने वर्षों से आस्था और परंपरा को मजबूती दी है और प्रतापगढ़ को विशिष्ट धार्मिक पहचान दिलाई है ।
मंदिर के गर्भगृह में बेल्हा देवी की पूजा पिंडी के रूप में की जाती है. इसके अलावा मंदिर के ऊपर संगमरमर से बनी देवी प्रतिमा स्थापित है, जिसे आकर्षक वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाता है. देवी का यह मानवरूपी स्वरूप चांदी की परत वाले छोटे गुंबददार मंदिर में विराजमान है। यहां श्रद्धालु संगमरमर की प्रतिमा और पिंडी दोनों की पूजा-अर्चना करते हैं।
मंदिर का समय मौसम के अनुसार निर्धारित है. गर्मियों में यह सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक और सर्दियों में सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है. श्रद्धालु मुख्य द्वार से प्रवेश कर देवी के दर्शन कर सकते हैं और बाहर निकलने के लिए अलग मार्ग बनाया गया है।
मंदिर परिसर में शक्ति ध्वज के सामने 75 फीट × 105 फीट आकार का लाल पत्थर का विशाल फर्श बना हुआ है. यहां भक्त अपनी बारी का इंतजार करते हैं. परंपरा के अनुसार, भक्तों द्वारा अर्पित किया गया प्रसाद देवी को अर्पित करने के बाद उन्हें आशीर्वाद स्वरूप वापस लौटा दिया जाता है।
बेल्हा देवी मंदिर न केवल प्रतापगढ़ का धार्मिक प्रतीक है, बल्कि यह आस्था, इतिहास और संस्कृति का संगम भी है. यहां पहुंचकर भक्त केवल दर्शन ही नहीं करते, बल्कि अपने भीतर ऊर्जा और मानसिक शांति का अनुभव भी करते हैं. यही वजह है कि प्रतापगढ़ आने वाला हर यात्री यहां दर्शन किए बिना नहीं लौटता है ।
Belha Shaktipeeth का नवरात्र में खास महत्व
अगर आप भी मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो शारदीय नवरात्र में पूजा के समय माता रानी को चुनरी और ऋतुफल समेत अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें. इससे पूजा का पूर्ण फल मिलेगा और जीवन में खुशियों का संचार होगा।
ऐसे शुभ अवसर पर प्रतापगढ़ का बेल्हा देवी मंदिर उन चुनिंदा पवित्र स्थलों में गिना जाता है, जहां मां की विशेष कृपा बरसती है. नवरात्र में यहां दर्शन करना शुभ और कल्याणकारी माना जाता है।