आत्महत्या रोधी पंखे रोकेंगे मौत का सिलसिला: राजस्थान में आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से पहले जिला प्रशासन ने ‘कोटा केयर्स कैम्पेन’ के तहत कोचिंग सेंटर और छात्रावासों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस अभियान का उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोटा आने वाले विद्यार्थियों के जीवन-यापन की लागत को कम करना है। नए दिशानिर्देशों के मुताबिक शहर के सभी 4,000 छात्रावासों में सुरक्षा शुल्क नहीं लेगा। पहले छात्रावास ये राशि लेते थे और साल के अंत तक इसे वापस कर देते थे।
कोचिंग उद्योग के पक्षकारों के साथ बैठक के बाद कोटा के जिलाधिकारी डॉ. रवींद्र गोस्वामी ने घोषणा की कि छात्रावास 2,000 रुपये का रखरखाव शुल्क ले सकते हैं। बयान में कहा गया है कि छात्रावासों में आत्महत्या रोधी पंखे और छात्रावास कर्मचारियों के लिए अनिवार्य ‘गेटकीपर’ प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। बयान के मुताबिक विद्यार्थियों को एकबारगी पास के आधार पर ‘चंबल रिवरफ्रंट और ऑक्सीजन जोन पार्क’ में निःशुल्क प्रवेश दिया जाएगा।
रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर ‘कोटा केयर्स हेल्पडेस्क’ स्थापित किया जाएगा और छात्रावासों में सीसीटीवी और ‘बायोमेट्रिक सिस्टम’ लगाए जाएंगे।
छात्रावास के कर्मचारियों को रात में लोगों की उपस्थिति हाथ से दर्ज करनी होगी। आवास में मनोरंजन क्षेत्र होंगे और माता-पिता को सभी भुगतानों की रसीदें दी जाएंगी।
डॉ. गोस्वामी ने कहा, “कोटा केयर्स अभियान के तहत विद्यार्थियों को बेहतर सुविधाएं और बेहतर माहौल उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है।..हमें विश्वास है कि कोटा में विद्यार्थी को श्रेष्ठ आवास और आदर्श माहौल के साथ बेहतर कोचिंग मिलेगी।” ये कदम तब उठाया गया है, जब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोटा आने वाले विद्यार्थियों की संख्या दो लाख से घटकर 2024-25 में 1.24 लाख से थोड़ी ज्यादा हो गई। इससे लगभग 50 प्रतिशत राजस्व का नुकसान हुआ, जिससे कई छात्रावासों में 40 प्रतिशत से भी कम विद्यार्थी रह गए।