अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस पर परमार्थ में अभियान:
सिंगल यूज प्लास्टिक वह ऐसी चीज है जिसे हम कुछ ही मिनटों के उपयोग के बाद फेंक देते हैं, लेकिन इसका प्रभाव सदियों तक हमारी धरती पर बना रहता है–स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी
अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि यह दिन हमें एक गंभीर सच से रूबरू कराता है कि हमारा छोटा सा रोजमर्रा का चुनाव सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग हमारी धरती माँ को कितनी गहरी और लंबी अवधि की चोट पहुंचाता है। यह दिन केवल जागरूकता का माध्यम नहीं, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन का प्रतीक है जो हमें पृथ्वी को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाने के लिए प्रेरित करता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक वह ऐसी चीज है जिसे हम कुछ ही मिनटों के उपयोग के बाद फेंक देते हैं, लेकिन इसका प्रभाव सदियों तक हमारी धरती पर बना रहता है। यह सुविधा भले ही हमें तुरंत मिलती है, लेकिन इसका पर्यावरणीय मूल्य अत्यंत भारी होता है। यह प्लास्टिक लगभग 100 से 500 वर्षों तक टूटता नहीं, गलता नहीं, बल्कि मिट्टी, जल और वायु को प्रदूषित करता रहता है।
विश्व में हर साल लगभग 5 ट्रिलियन प्लास्टिक बैग्स का उपयोग होता है, जिनमें से अधिकांश न तो रीसायकल होते हैं और न ही सही तरीके से निपटाए जाते हैं।
इसके कारण हमारी धरती पर प्लास्टिक का घातक जमाव बनता जा रहा है, जो जलीय और स्थलीय जीवों के लिए मौत का कारण बनता है।
प्लास्टिक प्रदूषण का सबसे बड़ा शिकार समुद्री जीव होते हैं। हर साल 1 लाख से अधिक समुद्री जीव प्लास्टिक के कारण अपनी जान गंवाते हैं। कछुए, डॉल्फिन, व्हेल, और अनेक पक्षी ऐसे जीव हैं जिनके शरीर में प्लास्टिक के टुकड़े पाए गए हैं। चमकदार प्लास्टिक को खाने की भूल उनमें अक्सर मृत्यु का कारण बनती है।
प्लास्टिक प्रदूषण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को भी बिगाड़ता है, जिससे पूरी खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है। समुद्री जीवन की सेहत सीधे तौर पर हमारे जीवन से जुड़ी है। जब समुद्र बीमार होगा, तो अंततः हम भी बीमार होगें।
हम सोचते हैं कि प्लास्टिक हमारे लिए केवल पर्यावरणीय समस्या है, लेकिन इसका असर हमारी सेहत पर भी गंभीर है। प्लास्टिक जब माइक्रोप्लास्टिक में टूटता है, तो वह हमारी हवा, पानी और खाद्य पदार्थों में मिल जाता है। वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार हम प्रतिदिन प्लास्टिक के ऐसे छोटे-छोटे कणों को अपने शरीर में ले रहे हैं, जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कैंसर, हार्मोनल असंतुलन और प्रतिरक्षा तंत्र की कमजोरी का कारण बन सकते हैं। शोध बताते हैं कि हम हर हफ्ते करीब एक क्रेडिट कार्ड जितना प्लास्टिक निगल रहे हैं वह भी अनजाने में और रोज।
भारत ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 1 जुलाई 2022 से भारत सरकार ने 120 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैग्स, प्लास्टिक स्ट्रॉ, कटलरी और थर्माकोल उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया है। यह एक बड़ी पहल है जो भारत को प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ने वाले देशों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा करती है परन्तु अब हमारी बारी है।
सिंगल यूज प्लास्टिक से छुटकारा पाना सिर्फ सरकारी नियमों या कानूनों तक सीमित नहीं है। यह हम सबकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी है। हर बार जब हम प्लास्टिक बैग लेने से इंकार करते हैं, जब हम कपड़े, जूट या कागज के बैग का उपयोग करते हैं, तब हम एक बड़ा संदेश देते हैं कि हमें अपनी धरती की चिंता है।
हमारे छोटे-छोटे फैसले, जैसे प्लास्टिक के विकल्पों को अपनाना, प्लास्टिक कचरा न फैलाना, कपड़े के बैंग्स का उपयोग करना और दूसरों को इसके प्रति जागरूक करना, एक व्यापक आंदोलन की नींव रखते हैं।
यही समय है और सही समय है कि हम प्लास्टिक को केवल एक वस्तु के तौर पर न देखें, बल्कि इसे उस “सुविधा के जाल” के रूप में पहचानें जो हमारी धरती माँ को घातक चोट पहुंचा रहा है। हमारी धरती केवल संसाधनों का स्रोत नहीं, बल्कि हमारी माँ के समान है। जो हमें पोषित करती है, और बिना किसी शिकायत के हर दर्द सहती है।
क्या हम अपनी माँ को इस कचरे में दबते देख सकते हैं? क्या हम अपने बच्चों के लिए एक जहरीली धरती छोड़कर जा सकते हैं? यह सवाल हम सभी को अपने भीतर झांकने पर मजबूर करता है।
आइए आज संकल्प लें सिंगल यूज प्लास्टिक को हमेशा के लिए अलविदा कहें। यह केवल एक दिन की प्रतिबद्धता नहीं, बल्कि जीवन भर का संकल्प होना चाहिए। हमें प्रकृति के प्रति अपनी संवेदना और जिम्मेदारी को जागृत करना होगा।
हम अपने व्यवहार में बदलाव लाएं, सिंगल यूज प्लास्टिक का त्याग करें और पृथ्वी को एक स्वच्छ, सुरक्षित और हरित भविष्य दें। सिंगल यूज प्लास्टिक हमारी सुविधा का जाल है, और यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम इस समस्या का समाधान खोजें और लागू करें। आज का एक छोटा फैसला प्लास्टिक को ना कहना आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, स्वस्थ और सुंदर जीवन का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। आइए, हम सब मिलकर एक प्लास्टिक मुक्त और टिकाऊ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाएं।