सबसे बड़ा बदलाव औद्योगिक विवाद अधिनियम (Industrial Disputes Act) में किया गया है। पहले, किसी भी फैक्ट्री या प्रतिष्ठान में यदि 100 से अधिक कर्मचारी होते थे, तो उसे छंटनी, तालाबंदी या बंद करने के लिए सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होती थी। अब यह सीमा 100 से बढ़ाकर 200 कर दी गई है, यानी अब 200 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियां बिना सरकारी अनुमति के छंटनी कर सकती हैं।
इसके अलावा, दिल्ली दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम (Delhi Shops and Establishment Act) में भी महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। अब दुकानों और प्रतिष्ठानों को हफ्ते के सातों दिन और 24 घंटे तक खुला रखने की अनुमति दी गई है। इससे व्यापार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
एक और बड़ा बदलाव है महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति। हालाँकि, इसके लिए महिला कर्मचारी की लिखित सहमति जरूरी होगी। साथ ही, महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नियोक्ताओं को विशेष सुरक्षा उपाय अपनाने होंगे। इसमें महिला गार्ड की नियुक्ति, सीसीटीवी निगरानी, सुरक्षित परिवहन आदि शामिल हैं।
इसके साथ ही अधिनियम के तहत अब उन प्रतिष्ठानों पर नियम लागू होंगे जिनमें कम से कम 10 कर्मचारी कार्यरत हों। पहले यह सीमा केवल 1 कर्मचारी पर भी लागू होती थी, जिससे बहुत छोटे व्यवसायों को भी नियामकीय जटिलताओं का सामना करना पड़ता था।
सरकार का दावा है कि इन बदलावों से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, अधिक नौकरियों के अवसर पैदा होंगे और दिल्ली को आर्थिक दृष्टि से प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकेगा। लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह श्रमिकों के अधिकारों को कमजोर कर सकता है, खासकर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के लिए।
इन बदलावों के लागू होने के बाद दिल्ली की श्रम संरचना में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उद्योग जगत और कामकाजी वर्ग इन संशोधनों को किस प्रकार अपनाते हैं।