देहरादून के चमन विहार निवासी एक सेवानिवृत्त शिक्षक साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं, जिसमें उन्होंने मात्र सात दिन में 2.27 करोड़ रुपये गंवा दिए। इस मामले में साइबर थाना देहरादून में शिकायत दर्ज कराई गई है।
घटना का विवरण:
पीड़ित शिक्षक को एक फोन आया, जिसमें कॉलर ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। उसने तुरंत फोन किसी विनय कुमार चौबे नाम के व्यक्ति को सौंपा, जिसने खुद को क्राइम ब्रांच का सब इंस्पेक्टर बताया। चौबे ने शिक्षक को बताया कि उनके मोबाइल नंबर और आधार नंबर का इस्तेमाल करते हुए एक बैंक खाता खोला गया है, जिसमें 20 लाख रुपये का संदिग्ध लेनदेन हुआ है। यह रकम मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल की गई थी।
वीडियो कॉल का धोखा:
ठग ने शिक्षक को वीडियो कॉल करने के लिए कहा जहां उन्हें बताया गया कि वे “डिजिटल अरेस्ट” हो चुके हैं। अगर उन्होंने सही जवाब नहीं दिया, तो उन्हें 24 घंटे में गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस डर से भयभीत होकर शिक्षक ने ठग की बात मान ली। उन्हें यह भी कहा गया कि हर तीन घंटे में व्हाट्सएप पर अपनी उपस्थिति की जानकारी देनी होगी इस दौरान, चौबे ने उन्हें न्यायालय से संबंधित दस्तावेज भी दिखाए, जो असली लग रहे थे। पीड़ित ने बताया कि ठग ने उन्हें यह भी चेतावनी दी कि यदि उन्होंने मामले की जांच करने की कोशिश की, तो वे राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में फंस जाएंगे। इस सब से डरकर, शिक्षक ने 11 से 17 सितंबर के बीच कुल 2.27 करोड़ रुपये साइबर ठगों के खातों में जमा कर दिए।
निष्कर्ष:
यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि किस तरह साइबर ठग आम लोगों को अपनी चालाकियों से ठग रहे हैं। ठगी के इस मामले ने न केवल पीड़ित की जीवनभर की कमाई को छीन लिया, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन यह आवश्यक है कि लोग ऐसे फर्जी कॉल्स और ठगों से सावधान रहें। अगर आपको भी इस तरह की कोई कॉल आती है, तो तुरंत इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दें और किसी भी प्रकार की जानकारी साझा करने से बचें।