जमीन पर सोने के खतरे ही खतरे: अगर आप भी गर्मी में ठंडक के चक्कर में फर्श पर तकिया लगाकर आराम फरमाने के शौक़ीन हैं तो ज़रा खबर पढ़ लीजिये क्योंकि ये तो हम, सबने देखा है कि पुराने ज़माने में हमारे बुजुर्ग ज्यादातर ज़मीन पर ही सोते थे। ज़्यादातर लोग बिना किसी बिछावन के ही ज़मीन पर सोते थे। आज भी कई लोगों को यह पसंद है और आरामदायक लगता है। ज़मीन पर सोना सुखद और ठंडक देने वाला हो सकता है। लेकिन ज़मीन पर सोने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। सीधे शब्दों में कहें तो शरीर में दर्द, संक्रमण, सीधी ठंड लगना और गुर्दे की समस्याएं जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
ज़मीन पर सोने के नुकसान
1. शरीर पर सीधा ठंड का असर :
किसी भी तरह की ज़मीन प्राकृतिक रूप से ठंडी होती है। इसलिए बाहर गर्मी होने पर यह ठंडक आरामदायक लग सकती है। लेकिन यह शरीर की आंतरिक गर्मी को भी कम करती है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। इससे शरीर का तापमान अचानक गिर सकता है और कंपकंपी हो सकती है। गठिया (Arthritis) के मरीज़ों को दर्द बढ़ सकता है। सर्दी-ज़ुकाम और गले में खराश होने की संभावना बढ़ जाती है। ज़मीन पर सोना तभी अच्छा होता है जब प्राकृतिक रूप से गर्मी ज़्यादा हो।
2. पीठ दर्द, गठिया की समस्या :
ज़मीन पर सोने से पूरा शरीर सख्त सतह पर चिपक जाता है। इससे रीढ़ की हड्डी ज़मीन से ठीक से नहीं लग पाती। इससे पीठ और घुटनों पर ज़्यादा दबाव पड़ता है और दर्द बढ़ता है। गठिया के मरीज़ों के लिए ज़मीन पर सोना बहुत दर्दनाक हो सकता है। रीढ़ की हड्डी के हिलने-डुलने में कमी के कारण दबाव बढ़ता है और मांसपेशियों में अकड़न हो जाती है। बुज़ुर्गों में पीठ का टेढ़ापन और कमर दर्द बढ़ सकता है। शरीर को ज़रूरी नरमी और सहारा देकर सोना बेहतर होता है।
3. गुर्दे की कार्यप्रणाली पर असर :
ठंडी ज़मीन पर सोने से शरीर का निचला हिस्सा ज़्यादा ठंडक सोखता है। इससे गुर्दे पर सीधा असर पड़ता है। गुर्दे एक तापमान-संवेदनशील अंग होते हैं, इसलिए उन पर सीधा ठंड का असर पड़ने से पेशाब संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। मूत्राशय में सूजन और गठिया की समस्याएं हो सकती हैं। गुर्दे की पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है। गुर्दे के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए गद्दे का इस्तेमाल ज़रूरी है।
4. बैक्टीरिया और संक्रामक रोग :
ज़मीन पर मौजूद धूल, कीड़े, सूक्ष्मजीव और बैक्टीरिया सीधे शरीर के संपर्क में आते हैं। इससे त्वचा और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। त्वचा में संक्रमण ज़्यादा होता है। फंगल इंफेक्शन और एलर्जी हो सकती हैं। धूल और कीटाणुओं से अस्थमा और साइनस की समस्याएं बढ़ सकती हैं।
5. ब्लड सर्कुलेशन पर असर :
ज़मीन पर सोने से पूरा शरीर अकड़ा हुआ रहता है। इससे रक्त संचार कम हो जाता है। गुर्दे, लकवा और नसों से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं। पैरों में झनझनाहट बढ़ सकती है। मांसपेशियां कमज़ोर हो सकती हैं और शरीर में थकान हो सकती है। लंबे समय तक ज़मीन पर सोने से नसों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
6. कीड़े-मकोड़ों से परेशानी :
ज़मीन पर मौजूद चींटियों, मच्छरों और अन्य कीड़ों से परेशानी हो सकती है। सोते समय कीड़े-मकोड़ों के काटने से डेंगू और मलेरिया जैसे रोग हो सकते हैं। कभी-कभी ज़हरीले कीड़े भी काट सकते हैं।
7. नींद में खलल और तनाव :
ज़मीन पर सोने से पूरा शरीर एक ही स्थिति में रहता है। इससे नींद की गुणवत्ता कम हो जाती है। अनिद्रा और तनाव हो सकता है। लंबे समय तक ज़मीन पर सोने से तनाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लिहाज़ा अगर आप भी कुछ ऐसा ही करते हैं तो इन बातों का ध्यान रखें और सही फैसला लें क्योंकि जान है तो जहान है।