वैसे तो हर गांव की अपनी एक कहानी होती है लेकिन प्रतापगढ़ जिले की एक गांव ऐसा है जहां घरों में दरवाजा नहीं लगाया जाता और यह परंपरा सदियों पुरानी चली आ रही है जिसकी वजह से गांव के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है । लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यदि कोई घर के मुख्य द्वार पर दरवाजा लगाने की कोशिश भी किया तो उसके यहां बड़ा अपशगुन हुआ है जिसकी वजह से यहां के लोग दरवाजा लगाने से कतराते हैं। आपको बता दें कि इसके पीछे एक बड़ी कहानी है. जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे. आइये जानते हैं आखिर क्यों नहीं लगाया जाता इस गांव में दरवाजा?
जिला मुख्यालय से 30 किमी है दूर है गांव
प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर पट्टी तहसील के सुडेमऊ गांव में 7 पीढ़ी पूर्व सरयू पार के ब्राह्मण आकर बसे हैं. गांव वालों को यह अभिशाप है की मुख्य द्वार पर अगर कोई दरवाजा लगाएगा तो उसके यहां बड़ा अपशगुन हो जाएगा. कुछ लोग यहां निवासा पर आकर बसे और वह दरवाजा लगाने की कोशिश करने लगे तो उनके यहां कई लोगों की मौत हो गई. जिसके बाद उन्होंने दरवाजे को मुख्य द्वार से हटा दिया. गांव के बुजुर्गों ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि इस गांव में सात पीढ़ियों से घर के मुख्य द्वार पर दरवाजा नहीं लगाया गया है जिसकी वजह से कई बार घरों में चोरियां भी होती हैं और नई बहुएं जो आती हैं उनको भी कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस आधुनिक युग में आज भी घरों के मुख्य द्वार पर दरवाजा ना लगाया जाना कौतूहल का विषय बना हुआ है.
नागिन की दबकर हो गई थी मौत
कई लोगों का मानना है कि यहां एक दरवाजे के नीचे नागिन की दबकर मौत हो गई थी जिसके बाद से ही गांव वालों को यह श्राप दिया गया है कि अगर कोई मुख्य द्वार पर दरवाजा लगवाएगा तो उसके यहां अपशगुन होगा. वहीं अगर कोई चोरी करने की कोशिश करता है तो उसे भी नाग देवता डंस लेते हैं. गांव में सदियों पुरानी चली आ रही परंपरा से गांव के लोगों में भी डर का माहौल बना रहता है, और इस गांव को लोग बिन दरवाजे वाला गांव के नाम से भी जानते है। बताया जाता है कि अगल-बगल के गांव में लोग दरवाजा लगाने से डरते हैं.