औरतों की अदालत में मर्दों पर फैसला : आज नारद पोस्ट आपको एक क़िसी अदालत के बारे में बता रहा है जहाँ सिर्फ महिलाओं को न्याय करने का अधिकार है… आप सोच रहे होंगे तो फरियादी कौन होता है तो ज़नाब यहाँ सिर्फ मर्दों पर मुकदमा चलता है और वकील, जज और स्टाफ केवल औरते ही होती है… आइये बताते हैँ कहाँ है ये अनोखी अदालत
झारखंड के कोडरमा जिले में एक ऐसी अदालत लगती है, जहां महिलाएं ही फरियादी होती हैं। वही वकील बनकर जिरह करती हैं और जज बनकर फैसला भी सुनाती हैं। उनके फैसलों पर पूरी तरह अमल किया जाता है। कोडरमा जिले के चंदवारा में पिपराडीह पंचायत में हर महीने की 16 और 28 तारीख को यह अदालत 17 साल से लग रही है। इसके अलावा भी जरूरत पड़ने पर आपातकालीन अदालत कभी भी लगाई जा सकती है। इसकी शुरुआत ग्रामीण महिलाओं ने 16 मार्च 2008 को की थी। यहां महिला उत्पीड़न, घरेलू और सामाजिक हिंसा की शिकायतों पर सुनवाई होती है। 2016 में झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (वर्तमान राष्ट्रपति) ने नारी अदालत का निरीक्षण किया था। उन्होंने नारी अदालत की महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया था।
घरेलू हिंसा, बेटी के जन्म पर अत्याचार के खिलाफ
नारी अदालत की अध्यक्ष तुलकेसरी देवी कहती हैं- हम घरेलू हिंसा, पति से प्रताड़ना, बेटी के जन्म पर अत्याचार, जायदाद से बेदखल करना, सेक्सुअल वायलेंस जैसे मामलों पर सुनवाई करते हैं। पीड़ित की फरियाद सुनने के बाद हम दूसरे पक्ष से बात करते हैं। उनका पक्ष समझने के बाद हम दोनों पक्षों को समझाते हैं। अंत में सामाजिक दबाव बनाकर मामले सुलझाए जाते हैं।
अपने लिए खड़ी हो सकें महिलाएं, इसलिए अदालत
दामोदर महिला मंडल की जिलाध्यक्ष पूनम सिंह कहती हैं- नारी अदालत का लक्ष्य महिलाओं को अपने खिलाफ होने वाले अन्याय के प्रति जागरूक करना है। इसके अलावा महिलाओं के प्रति न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाना, गांव में महिला अधिकार और कानून व्यवस्था के लिए स्थानीय स्तर पर वैकल्पिक समाधान दिलाने का काम किया जाता है।
अब तक 1000 से ज्यादा मामले सुलझाए
इस नारी अदालत में पहले सिर्फ पिपराडीह पंचायत के मामले आते थे। निष्पक्ष और प्रभावी फैसलों का असर यह हुआ कि अब यहां कोडरमा, हजारीबाग, चतरा, गिरिडीह के अलावा बिहार के रजौली से महिलाओं के उत्पीड़न संबंधी मामले आने लगे हैं। अब तक 1000 से ज्यादा शिकायतों को सुलझाया गया है। जो मामले यहां सुलझ नहीं पाते, उसे महिला थाना या कोर्ट में भेजा जाता है।
साथी महिला को घरेलू हिंसा से बचाने से हुई शुरुआत
महिलाओं के स्वयं सहायता समूह दामोदर महिला मंडल की सदस्य पिपराडीह की निमिया देवी घरेलू हिंसा से परेशान थीं। उन्होंने अपना दर्द दूसरे सदस्यों को बताया। सबने मिलकर उन्हें घरेलू हिंसा से निजात दिलाई। यहीं से नारी अदालत शुरू करने का विचार आया और 16 मार्च 2008 को पिपराडीह पंचायत से इसकी शुरुआत हुई। इसकी सदस्यता शुल्क 250 रुपए है। यह राशि गरीब महिलाओं के सहयोग में खर्च की जाती है।