नैनीताल की चार प्रमुख झीलें प्रदूषण की चपेट में, खतरे में जल जीवन : नैनीताल की विश्वप्रसिद्ध नैनीझील समेत भीमताल, नौकुचियाताल और सातताल झीलों का पानी अब सीधे पीने योग्य नहीं रहा। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हाल ही में की गई जल गुणवत्ता जांच में इन सभी झीलों के साथ-साथ शिप्रा, गौला, कोसी और सरयू नदियों का पानी मध्यम स्तर पर प्रदूषित (B ग्रेड) पाया गया है।जून माह में लिए गए सैंपल्स को जांच के लिए देहरादून स्थित लैब में भेजा गया था। रिपोर्ट में साफ हुआ कि चारों झीलों और प्रमुख नदियों के पानी में प्रदूषण स्तर इस हद तक बढ़ चुका है कि यह सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए तो उपयुक्त हो सकता है, लेकिन बिना ट्रीटमेंट सीधे पीना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि झीलों और नदियों में कचरा, सीवरेज और पर्यटन से उत्पन्न अवशिष्ट पदार्थों के कारण पानी की गुणवत्ता तेजी से गिर रही है। यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति भविष्य में और गंभीर हो सकती है।
पिछले साल प्रकाशित स्टडी के मुताबिक नैनीताल झील की 16 जगहों पर सतही जल के सर्वेक्षण में खतरनाक मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी पाई गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न सिर्फ झील के पारिस्थितिकी तंत्र पर बल्कि लोगों की सेहत पर भी खतरा मंडरा रहा है।विशेषज्ञों के मुताबिक माइक्रोप्लास्टिक झील में मछलियों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं और वो मर रही हैं। नैनीताल नगर पालिका इस समस्या से वाकिफ है। अधिकारियों का कहना है कि उसने प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए टीमें तैनात कर दी हैं।
माइक्रोप्लास्टिक, प्लास्टिक के बेहद सूक्ष्म कणों होते हैं जो आसानी से पानी के साथ घुल जाते हैं। इन कणों का आकार एक से पांच मिलीमीटर तक होता है। जब मछलियां और दूसरे समुद्री जीव इन्हें खा लेते हैं, तो ये पाचन तंत्र को ब्लॉक कर सकते हैं, भूख कम कर सकते हैं और यहां तक कि मौत की वजह भी बन सकते हैं।माइक्रोप्लास्टिक मनुष्यों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं। ये फूड चेन में दाखिल हो सकते हैं। इनमें ऐसे केमिकल होते हैं जो हार्मोन को बाधित कर सकते हैं, सूजन को बढ़ा सकते हैं, या समय के साथ शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।