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Home » Supreme Court : पुलिस को गिरफ्तारी का कारण लिखित में बताना होगा – सुप्रीम कोर्ट
देश

Supreme Court : पुलिस को गिरफ्तारी का कारण लिखित में बताना होगा – सुप्रीम कोर्ट

The road accident accused had placed the matter before the SC.
Narad PostBy Narad PostNovember 8, 2025No Comments4 Mins Read
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Supreme Court
Supreme Court पुलिस को गिरफ्तारी का कारण लिखित में बताना होगा - सुप्रीम कोर्ट
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Supreme Court :  पुलिस को गिरफ्तारी का कारण लिखित में बताना होगा :- सुप्रीम कोर्ट  (Supreme Court ) ने एक अहम फैसले में कहा है कि गिरफ्तार किए जा रहे व्यक्ति को उसी समय गिरफ्तारी का कारण लिखित में देना अनिवार्य नहीं है. लेकिन ऐसा जल्द से जल्द किया जाना चाहिए. अगर पुलिस ऐसा नहीं करती तो उस व्यक्ति को रिहा कर दिया जाएगा. कोर्ट ने यह आदेश मुंबई के वर्ली हिट एंड रन मामले के आरोपी मिहिर राजेश शाह के मामले में दिया है. 7 जुलाई, 2024 को हुई इस घटना में मिहिर पर वर्ली के रहने वाले दंपति प्रदीप और कावेरी नखवा के स्कूटर को धक्का मारने और भागते समय कावेरी को लगभग 2 किलोमीटर तक कार के साथ घसीटने का आरोप है. इस घटना में कावेरी की मौत हो गई थी।

सड़क दुर्घटना के आरोपी ने SC के सामने रखा था मामला

मिहिर ने मामले में यह कानूनी आधार लिया था कि उसने जानबूझकर घटना को अंजाम नहीं दिया. पुलिस ने लोगों के दबाव में उस पर सख्त धाराएं लगा दीं. गिरफ्तारी के समय लिखित कारण भी नहीं दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनते हुए मिहिर को जमानत दे दी थी. लेकिन गिरफ्तारी का लिखित आधार बताए जाने के मसले पर स्पष्टता लाने के लिए विस्तृत विचार की बात कही थी।

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अब CJI बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने 52 पन्नों का विस्तृत फैसला दिया है. कोर्ट ने माना है कि संविधान के अनुच्छेद 22 के तहत अपनी गिरफ्तारी का कारण लिखित में जानना हर व्यक्ति का अधिकार है. CrPC की धारा 50 और BNSS की धारा 47 में भी इस बारे में व्यवस्था है. लेकिन यह नहीं लिखा गया है कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी का लिखित आधार कितने समय में उपलब्ध करवा दिया जाना चाहिए. ऐसे में अब कोर्ट ने इस विषय में स्पष्टता के लिए यह निर्देश दिए हैं।

किसी को गिरफ्तार करते समय उसे उसका आधार बताना संवैधानिक और कानूनी बाध्यता है।

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को लिखित में गिरफ्तारी का आधार बताया जाना चाहिए. ऐसा उस भाषा में किया जाए, जिसे वह समझता है.
ऐसे मामलों में जहां गिरफ्तार करने वाला अधिकारी लिखित में कारण बताने में असमर्थ हो, उसे मौखिक रूप से गिरफ्तारी का आधार बता देना चाहिए।

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अगर गिरफ्तारी के समय लिखित आधार न दिया सका हो तो ऐसा एक उचित समय में कर दिया जाए. किसी भी हाल में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने से कम से कम 2 घंटा पहले लिखित आधार उपलब्ध करवा दिया जाए।

अगर इन बातों का पालन नहीं किया गया तो गिरफ्तारी और रिमांड को अवैध माना जाएगा. इसके बाद गिरफ्तार किया गया व्यक्ति रिहा होने का हकदार होगा।

SC ने गिरफ्तारी का लिखित आधार बताने से जुड़ी शर्तों को विस्तार से बताया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर इन शर्तों का पालन न करने के चलते किसी व्यक्ति को रिहा किया जाता है और जांच एजेंसी को उसकी हिरासत जरूरी लगती है तो उसे मजिस्ट्रेट को आवेदन देना होगा. मजिस्ट्रेट तथ्यों की समीक्षा करेंगे. उन कारणों पर भी विचार करेंगे जिनके चलते गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी का लिखित आधार बताने से जुड़ी शर्तों का पालन नहीं हो पाया।

मजिस्ट्रेट रिहा किए व्यक्ति का भी पक्ष सुनेंगे और 1 सप्ताह के भीतर जांच एजेंसी के आवेदन पर निर्णय देंगे. कोर्ट ने साफ किया है कि यह आदेश सिर्फ कानूनी स्पष्टता के लिए दिया गया है. मिहिर राजेश शाह का मामला निचली अदालत में चलेगा. उसे जो जमानत दी गई थी, वह फिलहाल बनी रहेगी. अगर पुलिस को उसकी हिरासत की जरूरत हो तो वह मजिस्ट्रेट को आवेदन दे सकती है।

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