राघवेंद्र कुमार, जो “हेलमेट मैन ऑफ इंडिया” के नाम से मशहूर हैं, आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। वे अब उत्तराखंड रोड सेफ्टी के ब्रांड एंबेसडर बन गए हैं। राघवेंद्र कुमार की जिंदगी में एक ऐसी घटना घटी जिसने उन्हें सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने का ठानने पर मजबूर किया। उनका मिशन अब न केवल बिहार, बल्कि पूरे भारत में लोगों को हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित करना है, ताकि सड़क पर होने वाले हादसों में लोगों की जान बचाई जा सके।
राघवेंद्र कुमार की जिंदगी में बदलाव की कहानी
राघवेंद्र कुमार बिहार के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। उनकी जिंदगी में एक घटना ने सब कुछ बदल दिया। 2014 में, राघवेंद्र के करीबी दोस्त कृष्ण कुमार का सड़क हादसे में निधन हो गया। कृष्ण कुमार, जो इंजीनियरिंग कर रहे थे, राघवेंद्र के साथ नोएडा के लॉयड लॉ कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। राघवेंद्र ने बताया कि कृष्ण कुमार का एक्सीडेंट नोएडा एक्सप्रेस-वे पर हुआ था और डॉक्टरों के अनुसार, अगर उसने हेलमेट पहना होता, तो शायद उसकी जान बच सकती थी।
यह घटना राघवेंद्र कुमार के दिलो-दिमाग में गहरे रूप से बैठ गई और उन्होंने ठान लिया कि वे सड़क सुरक्षा के लिए एक मुहिम चलाएंगे, ताकि किसी और की जान ऐसे ही न जाए।
हेलमेट मैन बनने की प्रेरणा
कृष्ण कुमार की मां की यह बात राघवेंद्र कुमार को झकझोर कर रख दी थी कि, “मैं कृष्णा को हेलमेट क्यों नहीं दिला पाई?” इस सवाल ने राघवेंद्र को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने यह वादा किया कि वे अब सड़क सुरक्षा के लिए काम करेंगे। इसके बाद, राघवेंद्र ने अपनी नौकरी छोड़ दी, नोएडा का अपना घर बेच दिया और इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए अपनी सारी संपत्ति दांव पर लगा दी।
राघवेंद्र कुमार ने अपनी यात्रा शुरू की और हेलमेट बांटने का काम शुरू किया। वे अब तक 65,000 से ज्यादा हेलमेट बांट चुके हैं और 35 जिंदगियों को बचाने का दावा करते हैं।
उत्तराखंड रोड सेफ्टी के ब्रांड एंबेसडर के रूप में
राघवेंद्र कुमार अब उत्तराखंड के सड़क सुरक्षा अभियान के ब्रांड एंबेसडर बन गए हैं। मसूरी में आयोजित एक समारोह में उत्तराखंड पुलिस के महानिरीक्षक और निदेशक यातायात, मुख्तार मोहसिन ने उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी। राघवेंद्र कुमार अब उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में जाकर लोगों को हेलमेट पहनने और सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
हेलमेट बैंक की स्थापना
राघवेंद्र कुमार ने उत्तराखंड में हेलमेट बैंक बनाने का प्रस्ताव भी रखा है। इसके तहत, लोग अपना आधार कार्ड और फोन नंबर दर्ज करके हेलमेट प्राप्त कर सकेंगे। यात्रा के बाद वे हेलमेट वापस हेलमेट बैंक में जमा कर सकेंगे। यह पहल सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने और हेलमेट पहनने की आदत डालने के लिए की जा रही है।
सड़क हादसों में हो रही मौतों का आंकड़ा
राघवेंद्र कुमार के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 1.7 लाख लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा देते हैं। इन मौतों में से अधिकांश उन लोगों की होती हैं, जो बिना हेलमेट के बाइक चला रहे होते हैं। राघवेंद्र का कहना है कि अगर लोग हेलमेट पहनें तो इस आंकड़े को कम किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट से बच्चों के लिए हेलमेट कानून
राघवेंद्र कुमार ने सुप्रीम कोर्ट से 4 साल के बच्चों को हेलमेट पहनने का कानून पास करवाया था। उनका मानना है कि यदि बच्चों को बचपन से हेलमेट पहनने की आदत डाल दी जाए, तो वे बड़े होकर भी हेलमेट पहनने के महत्व को समझेंगे और इसे अपनी आदत बना लेंगे।
राघवेंद्र कुमार की यह यात्रा एक सशक्त मिसाल है, जो यह बताती है कि एक व्यक्ति की जागरूकता और प्रयास से समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। उनके द्वारा चलाए जा रहे अभियान ने अब तक कई जिंदगियां बचाई हैं और अब वे उत्तराखंड में अपनी मुहिम को और भी मजबूत बना रहे हैं। हेलमेट मैन राघवेंद्र कुमार का मिशन केवल हेलमेट पहनने के लिए जागरूकता फैलाना नहीं, बल्कि सड़क पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी है।