भगवान शिव की कहानी : भगवान शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उन्हें “महादेव” (देवों के देवता), “पशुपति” (सभी जीवों के स्वामी) और “भूतनाथ” (भूत-प्रेतों के स्वामी) के रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव की महिमा अनंत है, और उनकी अनेक कथाएं हैं जो उनकी महानता, शक्ति और करूणा को दर्शाती हैं।भगवान शिव का उत्पत्ति ब्रह्मा और विष्णु से नहीं हुई, बल्कि वे स्वयं साकार हैं और निराकार ब्रह्म का रूप हैं। शिव का परिवार पार्वती (पत्नी), गणेश (पुत्र) और कार्तिकेय (पुत्र) के रूप में प्रसिद्ध है। भगवान शिव का वाहन नंदी बैल है और उनकी जटा (लटें) पर गंगा जी बहती हैं।
शिव की महिमा
आदि योगी और ध्यान: भगवान शिव को ध्यान और योग का पहला गुरू माना जाता है। वे आदि योगी हैं, जिनसे योग की विद्या का प्रारंभ हुआ। उनकी साधना और तपस्या का कोई मुकाबला नहीं है।
संग्राम और तांडव: भगवान शिव का तांडव नृत्य उनकी शक्ति और क्रोध को दर्शाता है। जब भी ब्रह्मांड में विनाश की आवश्यकता होती है, तो भगवान शिव तांडव करते हैं, जो सृष्टि के अंत और पुनर्निर्माण का प्रतीक होता है।
काल और मृत्यु का भगवान: शिव काल और मृत्यु के देवता माने जाते हैं। वे सर्वशक्तिमान हैं और हर चीज़ के कर्ता और संहारक हैं। वे अमरता के प्रतीक हैं, परंतु संसार की संहारक शक्ति भी रखते हैं।
भस्म और त्रिशूल: शिव का त्रिशूल उनके अनंत शक्ति का प्रतीक है, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष (चार पुरुषार्थ) का प्रतिनिधित्व करता है। उनके शरीर पर भस्म और सांपों का हार उन्हें “स्मरण और मृत्यु के देवता” के रूप में प्रतिष्ठित करता है।
गणेश का जन्म: भगवान शिव और पार्वती के पुत्र गणेश की जन्मकथा भी प्रसिद्ध है। एक दिन जब पार्वती स्नान कर रही थीं, तो शिव ने गणेश के रूप में एक मूर्ति बनाई और उसे घर की रक्षा करने के लिए भेज दिया। बाद में, भगवान शिव ने गलती से गणेश का सिर काट दिया और उसे बाद में हाथी के सिर से जोड़ा।
भगवान शिव की भक्ति में सच्ची श्रद्धा और समर्पण से हर इंसान के जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है। उनके मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करने से आत्मा को शांति और शक्ति मिलती है। शिवरात्रि विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा का दिन होता है, जब भक्त पूरे दिन उपवासी रहते हुए रात्रि भर शिव की आराधना करते हैं।भगवान शिव की महिमा यह है कि वे विनम्र, सरल, और अत्यंत शक्तिशाली हैं। वे सृजन और संहार के देवता हैं, लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य जीवों को मुक्ति दिलाना है। उनकी पूजा से ना केवल सांसारिक सुख मिलता है, बल्कि आत्मा को परम सत्य की प्राप्ति भी होती है।