चित्रकूट में हैं तोता मुखी विचित्र हनुमान मंदिर : आपने बजरंग बली के कई मंदिरों का दर्शन किया होगा भगवान् राम की धर्म नगरी चित्रकूट इसमें ख़ास है क्योंकि यहीं पर प्रभु श्री राम ने अपने वनवास काल के 11 वर्ष 6 माह बिताए थे. ये आज भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां हर मंदिर, हर घाट और हर वृक्ष के पीछे एक दिव्य कथा छुपी हुई है. ऐसी ही एक पौराणिक कथा जुड़ी है रामघाट के पास स्थित तोता मुखी हनुमान मंदिर से. यहां एक विशेष वृक्ष मौजूद है जिसके बारे में मान्यता है कि यहीं हनुमान जी ने तोते का रूप धारण कर गोस्वामी तुलसीदास जी को प्रभु श्री राम के बारे में बताया था. यही वो क्षण था जब तुलसीदास जी को प्रभु श्री राम के दर्शन प्राप्त हुए थे. इस वृक्ष को देखने और इसकी पूजा-अर्चना करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं।
क्यों धारण किया तोते का रूप
पौराणिक कथाओं के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास जी जब चित्रकूट में तपस्या कर रहे थे, तब वे भगवान श्री राम के दर्शन की अभिलाषा रखते थे. लेकिन उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि प्रभु श्री राम साक्षात चित्रकूट में विचरण कर रहे हैं. तब हनुमान जी ने एक तोते का रूप धारण किया और इसी वृक्ष पर बैठकर तुलसीदास जी को सूचना दी थी. इसका संकेत को पाकर तुलसीदास जी रामघाट पहुंचे और वहीं पर उन्हें प्रभु श्री राम के दर्शन हुए. यही कारण है कि इस वृक्ष और इस मंदिर का विशेष महत्त्व है।
तोता मुखी हनुमान मंदिर के पुजारी मोहित दास जी बताते हैं कि यह वही स्थान है जहां हनुमान जी ने तुलसीदास जी को भगवान श्री राम के साक्षात दर्शन करवाने के लिए संकेत दिया था. ये वृक्ष सैकड़ों वर्ष पुराना है और इसकी छांव में बैठकर लोग प्रभु श्री राम का स्मरण करते हैं. आज भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस पावन स्थान के दर्शन करने आते हैं. वे इस वृक्ष को देखकर न केवल श्रद्धा से नतमस्तक होते हैं, बल्कि यहां आकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना भी करते हैं।